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सफलता से साधु बनने का सफर: कौन हैं महाकुंभ के ‘M.Tech बाबा’?

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महाकुंभ 2025 के दौरान कई अनोखी कहानियों ने लोगों का ध्यान खींचा है. ‘IIT बाबा’ के बाद अब ‘M.Tech बाबा’ चर्चा में हैं.
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महाकुंभ 2025 के दौरान कई अनोखी कहानियों ने लोगों का ध्यान खींचा है. ‘IIT बाबा’ के बाद अब ‘M.Tech बाबा’ चर्चा में हैं. ये बाबा एक समय पर एक सफल व्यवसायी थे और करीब 400 लोगों को रोजगार प्रदान करते थे. लेकिन परिस्थितियों ने ऐसा मोड़ लिया कि अब वे साधु का जीवन जी रहे हैं और भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहे हैं.

कौन हैं ‘M.Tech बाबा’?
‘M.Tech बाबा’, जिनका असली नाम दिगम्बर कृष्ण गिरी है, दक्षिण भारत के तेलुगु परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एम.टेक की पढ़ाई की थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नामी कंपनियों में काम किया जहां इनके अंडर 400 लोग काम करते थे.

सफलता से साधु बनने का सफर

बाबा ने बताया कि उन्होंने 2010 में संन्यास लिया और 2019 में वो नागा साधु बने जिसके बाद उन्होंने हरिद्वार में कई दिनों तक भीख मांगी.
शुरुआती दिनों में उन्होंने कई अखाड़ों को जुड़ने के लिए मेल किया. पर किसी अखाड़े का जवाब नहीं आया. फिर उन्होंने निरंजनी अखाड़े जाकर महंत श्री राम रतन गिरी महाराज से दीक्षा ली. वर्तमान में वे उत्तरकाशी के एक छोटे से गांव में रहते हैं.

कैसे पहुंचे महाकुंभ?

M.Tech बाबा महाकुंभ में श्रद्धालुओं के बीच अपने जीवन की कहानी साझा कर रहे हैं. उनका कहना है, “जीवन में सब कुछ होने के बावजूद आत्मिक शांति नहीं थी. साधना में मुझे सच्चा सुख मिला.“

भीख क्यों मांग रहे हैं?

महाकुंभ में ‘M.Tech बाबा’ श्रद्धालुओं से भिक्षा मांगते हुए दिखे. जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “यह मेरी तपस्या का हिस्सा है. भीख मांगना मुझे अहंकार से दूर रखता है और सच्ची विनम्रता सिखाता है” उनका कहना है कि ज्यादा पैसे से बुरी आदतें आती हैं.

लोगों की प्रतिक्रिया:

‘M.Tech बाबा’ की कहानी सुनकर लोग हैरान हैं. कई लोग उनके संघर्ष से प्रेरणा ले रहे हैं, तो कुछ उनके फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं. बाबा का कहना है कि उनकी कहानी दूसरों को यह सिखाने के लिए है कि सांसारिक सफलता से बड़ी चीज आत्मिक शांति है.

‘M.Tech बाबा’ की कहानी इस बात का प्रमाण है कि जीवन में परिस्थितियां कितनी भी बदल जाएं, व्यक्ति का दृष्टिकोण और फैसले ही उसे परिभाषित करते हैं. महाकुंभ में उनकी मौजूदगी ने न केवल श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा है, बल्कि जीवन की गहराई पर सोचने का एक मौका भी दिया है.

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