यूपी के बिजली उपभोक्ताओं को झटका: 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा टाइम ऑफ डे (ToD) टैरिफ
उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अगले वित्तीय वर्ष से बढ़े हुए बिजली खर्च का सामना करना पड़ सकता है.
- Amit Mishra
- 22 Jan, 2025
उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अगले वित्तीय वर्ष से बढ़े हुए बिजली खर्च का सामना करना पड़ सकता है. भारत सरकार ने बिजली नियम, 2020 में संशोधन करते हुए टाइम ऑफ डे (ToD) टैरिफ व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव रखा है. यह नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी, जिसके तहत बिजली की दरें दिन और रात के समय के अनुसार अलग-अलग होंगी.
क्या है ToD टैरिफ?
टाइम ऑफ डे टैरिफ एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें बिजली की कीमत दिन के अलग-अलग समय में खपत के अनुसार तय होती है.
दिन के समय बिजली की कीमत कम होगी, क्योंकि खपत अपेक्षाकृत कम रहती है.
रात के समय बिजली की कीमत करीब 20% तक अधिक हो सकती है, क्योंकि यह पीक डिमांड का समय होता है.
मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन का मसौदा
यह बदलाव मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के तहत प्रस्तावित किया गया है. इसका उद्देश्य ऊर्जा खपत को नियंत्रित करना और बिजली वितरण को अधिक कुशल बनाना है.
किसे होगा सबसे अधिक असर?
घरेलू उपभोक्ता
रात में बिजली का अधिक उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं, जैसे एयर कंडीशनर और गीजर चलाने वालों को अधिक बिल भरना पड़ेगा.
व्यवसाय और उद्योग
बड़े उद्योगों और वाणिज्यिक इकाइयों को अपने कामकाज का समय बदलने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
किसान
रात में सिंचाई के लिए बिजली का उपयोग करने वाले किसानों पर भी इसका असर पड़ेगा.
सरकार का पक्ष
भारत सरकार का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य बिजली के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना है. यह नीति उपभोक्ताओं को पीक आवर्स (ज्यादा खपत के समय) में बिजली की खपत कम करने और वैकल्पिक समय में शिफ्ट करने के लिए प्रेरित करेगी.
चुनौतियां
उपभोक्ताओं को बिजली उपयोग के समय में बदलाव करना होगा. रात में बढ़ी दरें ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे व्यवसायों पर बोझ डाल सकती हैं.
संभावनाएं
बिजली ग्रिड पर भार समान रूप से बंट सकता है.
अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा.
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना बिजली के कुशल प्रबंधन के लिए सही दिशा में कदम है, लेकिन इसे लागू करने से पहले उपभोक्ताओं को पर्याप्त जागरूकता और सहायता प्रदान करनी होगी.
टाइम ऑफ डे टैरिफ उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है. सरकार और बिजली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपभोक्ता इस नई व्यवस्था को आसानी से अपनाएं और इसका सकारात्मक प्रभाव उनके बिजली उपयोग और खर्च पर पड़े.
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