Greater Noida में स्वच्छता क्रांति की शुरुआत, सितंबर 2026 तक मेगा प्लांट होगा तैयार, यहां बनेगा वेस्ट मैनेजमेंट का हब

- Rishabh Chhabra
- 17 Jul, 2025
ग्रेटर नोएडा को अब स्वच्छ सर्वेक्षण में शामिल करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए प्राधिकरण ने कई बड़े कदम उठाए हैं। सबसे पहले लखनावली में जमा सालों पुराने कचरे का निस्तारण पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही शहर की सफाई व्यवस्था में भी सुधार किया गया है। अब अधिकारियों का लक्ष्य है कि आने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण में ग्रेटर नोएडा को बेहतर रैंक दिलाई जाए। इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है और लोगों को जागरूक करने के लिए एनजीओ की मदद ली जा रही है ताकि हर बिंदु पर अच्छे अंक मिल सकें।
तीन स्तरीय सफाई मॉडल किए गए तैयार
अधिकारियों के अनुसार, शहर को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए काम तीन स्तर पर किया जा रहा है। पहले स्तर पर घरों और छोटे प्रतिष्ठानों से रोजाना डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था की गई है। इससे सड़कों पर कचरा फेंकने की आदत को कम किया जा सकेगा। दूसरे स्तर पर 400 से ज्यादा बड़े संस्थानों और सोसायटियों को अपने परिसर में ही कचरा निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए कई जगह बायोगैस और खाद बनाने वाले छोटे प्लांट लगाए गए हैं। तीसरे स्तर पर लोगों को कचरा अलग-अलग रखने और सही तरीके से प्रबंधन करने की जानकारी दी जा रही है। इसके लिए एचसीएल फाउंडेशन और कई एनजीओ की मदद से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
अस्तौली बनेगा मेगा वेस्ट निस्तारण केंद्र
कचरे के स्थायी निस्तारण के लिए प्राधिकरण अस्तौली में एक बड़ी सुविधा विकसित कर रहा है। यहां अगले 15 साल तक कचरे को निस्तारित करने की व्यवस्था होगी। इस साइट पर एक हजार टन प्रतिदिन कचरा निस्तारित करने की क्षमता तैयार की जाएगी। फिलहाल रिलायंस पावर, एनटीपीसी समेत छह कंपनियों के सहयोग से 850 टन प्रतिदिन की क्षमता तैयार हो रही है। सितंबर 2026 तक सभी प्लांट चालू करने का लक्ष्य है। एनटीपीसी का 300 टन प्रतिदिन क्षमता वाला प्लांट लगभग 80 प्रतिशत तैयार हो चुका है, जहां ग्रीनकोल बनाया जाएगा जिसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन में होगा। वहीं, रिलायंस का 300 टन प्रतिदिन का प्लांट बायो सीएनजी बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। बाकी कंपनियां भी इसी तरह के प्लांट लगाएंगी। सभी प्रोजेक्ट रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर होंगे।
शहर में कचरे का निस्तारण करने वाले छोटे प्लांट चालू
ग्रेटर नोएडा में अभी भी छोटे स्तर पर कचरे का निस्तारण करने वाले प्लांट चालू हैं। शारदा विश्वविद्यालय के पास 17 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो सीएनजी प्लांट काम कर रहा है, जहां से बनी गैस वाहनों को बेची जाती है। इसी तरह ज्यू-3 में 10 टन प्रतिदिन का एक और प्लांट चालू है। इनसे रोजाना लगभग 150 टन कचरा निस्तारित हो रहा है। बाकी कचरा फिलहाल लखनावली साइट पर भेजा जाता है, जहां से खाद और आरडीएफ तैयार किया जा रहा है। योजना है कि सितंबर 2026 तक लखनावली को बंद कर दिया जाएगा और सारा कचरा अस्तौली साइट पर निस्तारित होगा।
कुलेसरा और हल्दौनी गांवों में खुले में फेंका जा रहा कचरा
हालांकि शहर के ग्रामीण इलाकों में सफाई सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। कुलेसरा और हल्दौनी जैसे गांवों में अब भी कचरा खुले में फेंका जा रहा है और घरों से कचरा उठाने की व्यवस्था पूरी तरह नहीं हो पाई है। प्राधिकरण का कहना है कि इन इलाकों में भी सफाई व्यवस्था मजबूत करने पर काम किया जा रहा है।
शहर को स्वच्छ बनाने में नागरिकों की भागीदारी जरूरी- एसीईओ
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ श्रीलक्ष्मी वी.एस. ने कहा कि शहर को स्वच्छ बनाने में नागरिकों की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि कई इलाकों में बदलाव दिख रहा है और आने वाले समय में और सुधार किया जाएगा। अगर लोग कचरा अलग-अलग रखें और सफाई में सहयोग करें तो ग्रेटर नोएडा को देश के सबसे साफ शहरों में गिना जा सकता है।
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