Ghaziabad ज़मीन विवाद: राजेन्द्र त्यागी के समर्थन में उतरे एडवोकेट, बोले- 'छवि बिगाड़ने की साज़िश'

- Rishabh Chhabra
- 26 Jul, 2025
ग़ाज़ियाबाद के दुंदहेड़ा गांव में एक ज़मीन विवाद को लेकर हाल ही में राजेन्द्र त्यागी नाम के व्यक्ति पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पूरे विवाद को लेकर अब राजेन्द्र त्यागी के पक्ष में उनके अधिवक्ता प्रबोध शुक्ला सामने आए हैं। अधिवक्ता ने साफ तौर पर कहा है कि ये ज़मीन राजेन्द्र त्यागी की पुश्तैनी संपत्ति है और इस पर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं, वो पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं।
प्रबोध शुक्ला का कहना है कि यह मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है और इस पर अदालत जो फैसला देगी, वह सभी को मान्य होगा। लेकिन विरोधी पक्ष द्वारा जानबूझकर सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से राजेन्द्र त्यागी की छवि खराब करने की साज़िश की जा रही है।
राजेन्द्र त्यागी को बदनाम करने की हो रही कोशिशें- अधिवक्ता
अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने इस विवाद को व्यक्तिगत दुश्मनी में बदलकर गलत तथ्यों के आधार पर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राजेन्द्र त्यागी की छवि एक समाजसेवी और सम्मानित व्यक्ति की रही है, लेकिन अब उन्हें बदनाम करने की कोशिशें की जा रही हैं, जो कि बेहद निंदनीय है।
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी होगा कड़ा एक्शन
प्रबोध शुक्ला ने यह भी साफ किया कि राजेन्द्र त्यागी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जो भ्रामक अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि साइबर सेल में भी शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया चल रही है और दोषियों के खिलाफ जल्द कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों में भी मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे राजनीतिक साज़िश बता रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि मामला पूरी तरह से अदालत पर छोड़ देना चाहिए।
प्रबोध शुक्ला ने की लोगों से की ये अपील
राजेन्द्र त्यागी के अधिवक्ता ने मीडिया से बातचीत में यह अपील भी की कि किसी भी कानूनी प्रक्रिया के बीच गलत खबरें या अफवाहें न फैलाई जाएं, क्योंकि इससे न सिर्फ व्यक्ति की छवि खराब होती है, बल्कि न्याय प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है।
फिलहाल, मामला कोर्ट में विचाराधीन है और सभी की निगाहें अब न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं। अधिवक्ता का स्पष्ट कहना है कि सच्चाई जल्द सामने आएगी और उनके मुवक्किल को न्याय मिलेगा। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि जो लोग सोची-समझी साज़िश के तहत आरोप लगा रहे हैं, उन्हें कानून का सामना करना पड़ेगा।
दुंदहेड़ा गांव का यह ज़मीनी मामला अब केवल एक कानूनी विवाद नहीं रहा, बल्कि इससे एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा और सामाजिक छवि भी जुड़ गई है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि इस विवाद का कानूनी और सामाजिक निष्कर्ष क्या निकलता है।
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