Mahakumbh में कहां है स्वर्ग से भी सुंदर सोने का सिंघासन, जानें यहां

- Nownoida editor3
- 23 Jan, 2025
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अब तक श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र अब तक नागा संन्यासी और साधु-संत थे. मगर फिलहाल श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र एक स्वर्ण सिंहासन बन गया है. यहां पहुंच रहे श्रद्धालु अब अखाड़ों में धुनी रमाए बैठे संन्यासियों की जगह सेक्टर 14 में मौजूद इस स्वर्ण सिंहासन का दीदार करने को बेताब और उत्सुक हो रहे हैं. ये स्वर्ण सिंहासन श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधूत बाबा आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी का है.
एक शिष्य ने बाबा को भेंट किया सिंहासन
मिली जानकारी के मुताबिक इस स्वर्ण सिंहासन का वजह 251 किलो है. इस सिंहासन की सोने की चौंधिया देने वाली चमक और उसमें की गई नक्काशी हर किसी का मन मोह रही है. इसको लेकर आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद बताते हैं कि आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी जी स्वर्ण आभूषण धारण करते हैं. इसलिए लोग उन्हें गोल्डन बाबा के नाम से पुकारने लगे हैं. उनके एक शिष्य ने बाबा की इसी पहचान को देखते हुए उन्हें 251 किलो का ये स्वर्ण सिंहासन भेंट किया है. जिसको नक्काशी का ये स्वरूप देने में 4 माह का समय लगा है.
स्वर्ण सिंहासन पर सवार होकर बाबा करेंगे अमृत स्नान
फिलहाल साधु-संतों और नागा संन्यासियों के बाद अब स्वर्ण सिंहासन सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है. इस विशाल स्वर्ण सिंहासन पर सवार होकर श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी जी मौनी अमावस्या का अमृत स्नान करेंगे. पूरी तरह सोने से तैयार किए गए इस सिंहासन का वजन 251 किलो है. इसके साथ ही इसमें पैर रखने वाला मंच और आचार्य का स्टूल भी गोल्ड का बनाया गया है.
स्वर्ण सभी धातुओं में सबसे पवित्र- प्रकाशानंद
इस स्वर्ण सिंहासन के निर्माण के पीछे भी एक आध्यात्मिक वजह ही है. आचार्य महा मंडलेश्वर अरुण गिरी के शिष्य महामंडलेश्वर प्रकाशानंद के अनुसार स्वर्ण सभी धातुओं में सबसे पवित्र माना जाता है. रामायण में वनवास के समय माता सीता से दूर रहने के दौरान भगवान राम ने जंगल में जो यज्ञ कराया गया था उसमें माता सीता की स्वर्ण मूर्ति रखी गई थी. इसीलिए यह सिंहासन पवित्रता को देखते हुए सोने का बनाया गया है. हालांकि इस सिंहासन की असल कीमत अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
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