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करवाचौथ व्रत सभी महिलाओं के लिए किया जाए अनिवार्य, ऐसा न करने पर मिले सजा, हाईकोर्ट में दाखिल याचिका खारिज

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल हुई एक जनहित याचिका पर जज भी हैरान हो गए। याचिका में मांग की गई कि करवाचौथ के व्रत को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य किया जाए। साथ ही अनुष्ठान मानने का केंद्र और हरियाणा सरकार को निर्देश दिया जाए। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने जब याचिका पर सवाल उठाए तो याचिकाकर्ता के वकील ने इसे वापस लेने की मांग की, लेकिन खंडपीठ ने एक हजार रुपए जुर्माना लगा दिया। जुर्माने की रकम पीजीआई  के गरीब रोगी कल्याण कोष में जमा करवानी होगी।

करवा चौथ के लिए बनाया जाए कानून

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि सामाजिक कारणों की वजह से कुछ वर्ग की महिलाओं, विशेषकर विधवाओं को "करवा चौथ" की रस्में करने की अनुमति नहीं है, इसलिए एक कानून बनाया जाना चाहिए जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी महिलाओं के लिए करवा चौथ की रस्में करना अनिवार्य किया जाए और ऐसा नहीं करने की स्थिति में  दंडनीय बनाया जाए।

करवाचौथ को मां पार्वती उत्सव घोषित किया 

याचिकाकर्ता ने कहा था कि करवा चौथ को महिलाओं के सौभाग्य का त्योहार या मां गौरा उत्सव या मां पार्वती उत्सव घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार और हरियाणा राज्य को कानून में प्रासंगिक संशोधन कर समान प्रविधान के कार्यान्वयन के लिए उपयुक्त कदम उठाने के निर्देश देने की मांग कीयाचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि यह विषय विधानमंडल के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है न्यायालय वर्तमान मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करता है।

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