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महाकुंभ में अगर बिछड़ जाए अपने तो ना हो निराश, 24 घंटे मदद कर रही यह संस्था

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महाकुंभ में अगर बिछड़ जाए अपने तो ना हो निराश, 24 घंटे मदद कर रही यह संस्था
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Noida: महाकुंभ में इतनी भीड़ रहती है कि कई बार अपने नाते रिश्तेदार बिछड़ जाते हैं. ऐसे में रोते बिलखते लोग निराश होकर कई बार घर लौट आते हैं. कुंभ के मेले में बिछड़ना एक कहावत जैसी हो गई है, कहानी और फिल्में में इसकी बानगी देखने को मिलती है. लेकिन यहां पर एक संस्था है जो पिछले 100 सालों से बिछड़ों को मिलाते हैं. ये संस्था 24 घंटे काम लोगों की मदद कर रही है.

यहां पर सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ कई संस्थाएं है जो बिछड़ों को मिलाने का काम में 24 घंटे जुटे हैं. एक संस्था ऐसी है जो इस काम में पिछले 100 साल से लगी है. यह संस्था 1924 से प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान बिछड़े लोगों को मिलाने का काम कर रहा है.

रीती बहुगुणा जोशी की मां ने की थी शुरुआत  

पूर्व सांसद रीती बहुगुणा जोशी की माताजी कमला बहुगुणा ने 1924 में कुंभ मेले के दौरान शिविर की शुरुआत की थी. जिसमें भूले बिछड़े लोगों को मिलाने का काम किया जाता था. आज भी उस शिविर का संचालन वैसे ही किया जा रहा है, जैसे सौ साल पहले किया जाता था. काम करने का तरीका पहले से थोड़ा एडवांस जरूर हो गया है. शिविर से लगातार बिछड़े लोगों के संबंध में अनाउंसमेंट होता रहता है.

शिविर के आयोजक का कहना है कि हर दिन शिविर में एक हजार से पंद्रह सौ लोगों के बिछड़ने की पर्ची आती है. इनमें से हर पर्चियों को लेकर 15-15 मिनट पर अनाउंसमेंट की जाती है. अनाउंसमेंट के माध्यम से लोगों तक जानकारी पहुंचाने की कोशिश की जाती है. हर अनाउंसमेंट में बिछड़ने वाले का नाम और उनके परिजन जिन्होंने शिकायत दी थी उनका नाम कहा जाता है, साथ ही ये भी शिविर का नाम भी अनाउंस किया जाता है कि उनके परिजन वहां इंतजार कर रहे हैं. 

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