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राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन, लखनऊ PGI में ली अंतिम सांस, जानिए पूरा सफरनामा

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Ayodhya: श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार की सुबह लखनऊ स्थित पीजीआई में निधन हो गया। 87 वर्षीय आचार्य सत्येंद्र दास को ब्रेन हैमरेज के बाद पीजीआईआई में पिछले दिनों भर्ती कराया गया था। आचार्य सत्येंद्र दास के निधन राम नगरी में शोक की लहर है। सीएम योगी ने आचार्य के निधन पर शोक जताया है।

33 साल से कर रहे थे श्रीरामलला की सेवा

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संवाद केन्द्र अयोध्या धाम की ओर बताया गया है कि श्री रामजन्मभूमि मन्दिर के मुख्य पुजारी सत्येन्द्रदास जी महाराज का साकेतवास हो गया आज माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन प्रातः सात बजे के लगभग उन्होंने पीजीआई लखनऊ में अंतिम सांस लीसत्येन्द्रदास 1993 से श्री रामलला की सेवा और पूजा कर रहे थे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय व मन्दिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के‌ देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।

न्यूरोलॉजी आईसीयू में थे भर्ती 

एसजीपीजीआई ने बयान जारी कर कहा कि श्री सत्येंद्र दास जी को स्ट्रोक हुआ था। उन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित थे, जिन्हें न्यूरोलॉजी आईसीयू में भर्ती किया गया था। पीजीआई प्रशासन के अधिकारी PRO ने बताया कि सुबह उन्होंने पीजीआई में अंतिम सांस ली।
आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति: CM योगी
वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने X पर लिखा  परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं सामाजिक व आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है।  उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति!

आचार्य सत्येंद्र दास कब बने थे पुजारी?
बता दें कि सत्येंद्र दास 6 दिसंबर 1992 को अस्थायी राम मंदिर के पुजारी थे, जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। उन्होंने आध्यात्मिक जीवन का विकल्प 20 साल की आयु में चुनी थी। जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब उन्हें मुख्य पुजारी के रूप में सेवा करते हुए मुश्किल से नौ महीने हुए थे। इस विध्वंस ने बड़े पैमाने पर राजनीतिक उथल-पुथल मचाई थी। जिसने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी और आचार्य सत्येंद्र दास हमेशा राम मंदिर आंदोलन और आगे के रास्ते पर मीडिया के सभी सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दिया करते। विध्वंस के बाद भी दास मुख्य पुजारी के रूप में बने रहे और जब रामलला की मूर्ति एक अस्थायी तम्बू के नीचे स्थापित की गई, तब उन्होंने पूजा भी की।

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