Mathura के रमणरेती में उमड़ा होली उत्सव का उल्लास, रंगों में सराबोर हुए भक्त

- Rishabh Chhabra
- 03 Mar, 2025
मथुरा। समूचा ब्रजमंडल इन दिनों राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक होली के रंग में रंगा हुआ है। ब्रज की गलियों से लेकर मंदिरों तक हर ओर अबीर-गुलाल की बौछार हो रही है। मथुरा के गोकुल स्थित रमणरेती में धूमधाम से होली महोत्सव मनाया गया। यहां गुरु कार्ष्णि शरणानंद जी महाराज के सान्निध्य में हजारों भक्तों ने राधा-कृष्ण के स्वरूपों के साथ होली खेली और आनंदित हुए।
गोकुल, जो कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की भूमि रही है, वहां होली उत्सव की अलग ही भव्यता देखने को मिली। रमणरेती आश्रम में भक्तों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार होली खेली। यहां श्रीकृष्ण और राधा के स्वरूप में सजे कलाकारों ने भक्तों के साथ अबीर और गुलाल उड़ाकर ब्रज की इस पारंपरिक होली को जीवंत कर दिया। पूरे वातावरण में "राधे-राधे" और "कृष्ण-कृष्ण" के जयकारे गूंज उठे।
रासलीला के साथ शुरू हुआ उत्सव
होली उत्सव का आगाज रासलीला के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजनों और ब्रज के प्रसिद्ध रसिया गायन से हुआ। कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को जीवंत कर दिया। भक्तों ने भी भजनों और नृत्य के माध्यम से इस दिव्य उत्सव में भाग लिया। पूरे माहौल में भक्ति और उल्लास की धारा बह उठी।
इसके बाद मंच पर ब्रज की प्रसिद्ध लट्ठमार होली, फूलों की होली और लड्डू होली का आयोजन किया गया। नंदगांव और बरसाना की होली की झलकियों को देखकर श्रद्धालु झूम उठे। महिलाओं ने परंपरागत अंदाज में लाठी चलाकर लट्ठमार होली खेली, वहीं फूलों की वर्षा से पूरा पंडाल आध्यात्मिक रंग में रंग गया। टेसू के फूलों से तैयार किए गए रंगों और प्राकृतिक गुलाल की बौछार से वातावरण रंग-बिरंगा हो उठा।
विदेशी पर्यटक भी हुए मंत्रमुग्ध
रमणरेती में आयोजित होली उत्सव को देखने के लिए न केवल स्थानीय श्रद्धालु, बल्कि दूर-दराज से आए भक्त भी शामिल हुए। देश-विदेश से आए सैकड़ों पर्यटकों ने ब्रज की इस अनूठी होली का आनंद लिया। पारंपरिक वेशभूषा में रंगे विदेशी पर्यटक भी "राधे-राधे" और "बांके बिहारी की जय" के जयकारे लगाते दिखे।
गुरु कार्ष्णि शरणानंद जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा, "ब्रज की होली केवल रंगों का खेल नहीं, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और आनंद का संगम है। यह वह उत्सव है जहां आत्मा परमात्मा से मिलती है और हर भक्त स्वयं को कृष्ण के सखा-सखी के रूप में अनुभव करता है।"
भक्तों ने किया भजन-कीर्तन और नृत्य
होली उत्सव के दौरान भक्तों ने पूरे उल्लास के साथ भजन-कीर्तन किए। "अरे जोगी तुम जाओ जी", "रंग बरसे भीगे चुनर वाली", "खेलो मसाने में होली दिगंबर" जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूमते नजर आए। भजन गाते हुए भक्तों ने होली खेली और प्रेम, भक्ति और आनंद की इस परंपरा को सजीव किया।
रमणरेती में हुए इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद रहा। पूरे आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में आश्रम के सेवकों और स्थानीय प्रशासन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ब्रज में होली का उल्लास चरम पर
ब्रजमंडल के अन्य हिस्सों में भी होली की धूम मची हुई है। वृंदावन, नंदगांव, बरसाना और गोवर्धन में भी रंगों की बरसात हो रही है। विशेष रूप से श्रीबांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर और इस्कॉन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
रमणरेती में मनाए गए होली महोत्सव ने ब्रज की परंपरा को फिर से जीवंत कर दिया। भक्तों ने प्रेम, भक्ति और रंगों के इस उत्सव का पूरा आनंद लिया। रंगों में सराबोर श्रद्धालु कृष्ण प्रेम में लीन होकर आनंदित होते रहे।
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