Gautam Buddha Nagar: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. अगर बात गौतमबुद्ध नगर सीट की करें तो यहां पर बीजेपी, सपा और बसपा ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. दूसरे चरण में यहां मतदान किया जाएगा. लेकिन इस दौरान यहां एक तरफ राजनीतिक पार्टीयों का वर्चस्व बढ़ा तो दूसरी तरफ इन दलों से नाखुश रहने वालों की संख्या भी बढ़ी है. चलिए अब हम आपकोआकड़ों में समझाते हैं कि कैसे नोटा साल दर साल लोगों की पंसद बनता गया.

नोएडा वासियों की बदली पसंद

एक सर्वे में दावा किया गया है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों के बाद लोगों की पसंद काफी बदली है. इसमें सबसे ज्यादा नाखुश मतदाता नोएडा के हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में नोएडा विधानसभा क्षेत्र में 1879 लोगों ने नोटा को अपना मत दिया था. 2019 में यही संख्या करीबन दोगुनी रफ्तार से बढ़ गई और 3315 पर पहुंच गई. आलम यह था कि कोई भी उम्मीदवार नोटा के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाया था. लेकिन इस बार प्रशासन स्वीप के जरिए मतदाताओं को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद भी उम्मीदवारों की कोशिशल नोएडा वासियों को रास नहीं आ रही है.

नोटा का बटन दबाने की बड़ी वजह

दरअसल, नोएडा में सबसे बड़ा मुद्दा इन दिनों रजिस्ट्री का है. जिसके चलते कई लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सरकार ने वादा किया था कि इस बार सभी फ्लैट मालिकों की रजिस्ट्री होगी. अमिताभ कांत की अनुशंसा के अनुसार इसे लागू किया गया. इसके तहत बिल्डरों को कुल बकाया का 25 फीसदी जमा करना था. लेकिन नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सिर्फ 75 बिल्डर प्रोजेक्टों ने सहमति दी. पैसा करीब 200 करोड़ रुपये ही आया. जिस कारण सिर्फ 2000 रजिस्ट्रेशन ही हो सके.
जानकारी के मुताबिक, गौतमबुद्ध नगर में लगभग डेढ़ लाख फ्लैट खरीदारों का रजिस्ट्रेशन अब तक नहीं हुआ है. इतना ही नहीं बल्कि इतने ही लोगों को अब तक घर भी नहीं मिला है. इसके चलते उन्होंने कई बार प्रदर्शन भी किया. लेकिन कोई भी सुनवाई ठीक ठंग से नहीं हुई. इसलिए कहा जा सकता है कि नोएडा वासी फिर अपना गुस्सा नो रजिस्ट्री नो वोट या नोटा के जरिए प्रत्याशियों पर उतारेंगे.

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