कई बार ऐसे किस्से सामने आते हैं. जहां परिवार की आर्थिक स्थिति के कमजोर होने के कारण छात्र अपने सपनों को मार देते हैं. ऐसा ही एक मामला यूपी में भी सामने आया है. जहां एक छात्र द्वारा महज 17,500 रुपये जमा नहीं करा पाने के कारण उसे आईआईटी में एडमिशन नहीं मिला. मगर होनहार छात्र ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अब अपना फैसला सुना दिया है. अब मुजफ्फरनगर के छात्र अतुल को आईआईटी धनबाद में एडमिशन मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में छात्र को छात्रावास सहित सभी सुविधाएं देने का आदेश भी दिया है. कोर्ट ने ये भी साफ कहा है कि जो छात्र आईआईटी धनबाद में दाखिला ले चुके हैं. उनके दाखिले पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, बल्कि छात्र को अतिरिक्त सीट पर एडमिशन दिया जाएगा.

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ही दिया था मदद का आश्वासन
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अतुल कुमार जैसे प्रतिभाशाली छात्र जो हाशिए पर स्थित समूह से हैं. उन्हें दाखिले के लिए नहीं रोका जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि फीस जमा करने की समय सीमा समाप्त होने पर छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि उसे एडमिशन मिलना ही चाहिए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में छात्र को मदद का भरोसा दिया था और कोर्ट ने आईआईटी मद्रास के साथ-साथ जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी को भी नोटिस भेजा था. वहीं छात्र के समय पर फीस जमा नहीं करा पाने की वजह परिवार की खराब आर्थिक स्थिति बताई गई थी. अतुल कुमार की ओर से केस लड़ रहे वकील ने दलील दी थी कि आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित होने के बाद फीस जमा करने के लिए 4 दिन दिए गए थे. इतने कम वक्त में 17,500 रुपये की फीस का इंतजाम कर पाना अतुल के परिवार के लिए बहुत मुश्किल था. यूपी के मुजफ्फरनगर नगर के टोटोरा गांव के रहने वाले 18 साल के अतुल कुमार के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं.

मद्रास हाईकोर्ट के वकील ने दी थी केस वापस लेने की सलाह
अतुल कुमार को आईआईटी धनबाद में एडमिशन के लिए राउंड वन अलॉटमेंट में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की सीट अलॉट हुई थी और एडमिशन के लिए फीस जमा करने की लास्ट डेट 24 जून थी. मगर अतुल कुमार इस समयसीमा तक फीस जमा नहीं कर पाए. उन्होंने अपने डॉक्यूमेंट तो समय पर कॉलेज की वेबसाइट पर सबमिट कर दिए लेकिन फीस नहीं सबमिट कर पाए. जिसके कारण अतुल का एडमिशन रद्द हो गया. इसके बाद अतुल मामले को झारखंड हाईकोर्ट ले गए, लेकिन वहां उनका काम नहीं बना. उनसे कहा गया कि वो मद्रास हाईकोर्ट में अपना केस फाइल करें. उन्होंने ऐसा ही किया, पर कोई फायदा नहीं हुआ. मद्रास हाईकोर्ट में उनके वकील ने उनसे अपना केस विड्रो करने के लिए कहा. जिसके बाद अतुल सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. सुप्रीम कोर्ट में 24 सितंबर को इस मामले की पहली सुनवाई हुई थी और अगली तारीख 30 सितंबर तय की गई थी.

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