प्रयागराज में बाद महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है. जिसमें शामिल होने के लिए  शनिवार को एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भारत पहुंची हैं। लॉरेन शनिवार को वाराणसी पहुंचर विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के बाद प्रयागराज रवाना हो गई। लॉरेन कुंभ में 10 दिनों तक कल्पवास करेंगी और निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर में ही रहेंगी।

लॉरेन मेरी बेटी के समान: स्वामी कैलाशानंद
स्वामी कैलाशनंद ने कहा ‘लॉरेन अपने गुरु से मिलने आ रही हैं। वह मेरी बेटी जैसी हैं। हमने उनको अपना गोत्र भी दिया है और उनका नाम ‘कमला’ रखा है। यह दूसरी बार है, जब वह भारत आ रही हैं। महाकुंभ में सभी का स्वागत है। महाकुंभ में आकर साधुओं से मिलेंगी और हमारे परंपराओं को समझने की कोशिश करेंगी।

स्टीव जॉब्स को भी था सनातन परंपरा में भरोसा
बता दें कि स्टीव जॉब्स भी सनातन परंपरा में विश्वास रखते थे और उनके जीवन से जुड़े कई किस्से हैं। इन संतों में बाबा नीम करोली महाराज का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है। 1974 में स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के दरबार में आए थे। जीवन का सबसे बड़ा सच जो रहस्य बन चुका था, उसे जानने के लिए वह बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे थे। इस यात्रा के दौरान वह नीम करोली के बाबा के आश्रम कैंची धाम में रुके थे। हालांकि बाबा नीम करोली 1973 में देह त्याग चुके थे। इसके अलावा, परमहंस योगानंद द्वारा लिखित ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ किताब भी उनके लिए बहुत खास थी। स्टीव जॉब्स ने कई मौकों पर इस किताब को जिंदगी में बदलाव लाने का जरिया माना था। 

महाराजा डीलक्स कॉटेज मे ठहरेंगी लॉरेन पॉवेल जॉब्स
गौरतलब है कि जुलाई 2020 तक लॉरेन पॉवेल और उनके परिवार को फोर्ब्स की दुनिया के अरबपतियों की सालाना सूची में 59वें स्थान पर रखा गया था। टाइम्स मैगजीन ने कई बार उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया है। महाकुंभ में लॉरेन पॉवेल जॉब्स के लिए ठहरने की व्यवस्था विशेष महाराजा डीलक्स कॉटेज में की गई है। वह निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में 29 जनवरी तक रहेंगी और सनातन धर्म को करीब से समझने का प्रयास करेंगी। 19 जनवरी से शुरू हो रही कथा की पहली यजमान भी होंगी। 

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version