2016 के नूंह गैंगरेप और दोहरे हत्याकांड के मामले में फैसला आ गया है। हरियाणा के पंचकूला की एक विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई है। साढ़े सात साल पहले हुए इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया था। मामले में कुल 10 आरोपी न्यायिक हिरासत में थे। सीबीआई की विशेष कोर्ट ने इनमें से छह को बरी कर दिया है, जबकि चार को फांसी की सजा चुनाई है। 10 अप्रैल को अदालत ने चारों दोषियों को 24-25 अगस्त, 2016 की रात को हरियाणा के नूंह में हुए दोहरे हत्याकांड, सामूहिक बलात्कार और डकैती का दोषी पाया था। कोर्ट ने इस मामले के चारों दोषियों विनय उर्फ लंबू, जयभगवान, हेमंत चौहान और अयान चौहान को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी पर कुल 8.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। वहीं बरी किए गए आरोपियों को लेकर पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट में अपील करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि आरोपियों ने एक नाबालिग समेत दो महिलाओं से उनके घर पर सामूहिक बलात्कार किया था और उसके बाद उनके पास से गहने और नकदी लूट ली थी। हमले के कारण एक पीड़ित की उसकी पत्नी सहित मौत हो गई और अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

10 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने चार आरोपियों को पाया था दोषी
10 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट ने चार आरोपियों को आईपीसी की धारा 120बी, 302, 307, 376-डी, 323, 459, 460 और पॉक्सो अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया था और सजा की घोषणा के लिए बाद की तारीखें तय की थीं। सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई की ओर से दोषियों के लिए अधिकतम सजा की प्रार्थना करते हुए विस्तृत दलीलें पेश की गईं थीं। हालांकि विशेष अदालत ने छह आरोपियों-तेजपाल यादव, अमित यादव, रविंदर यादव, करमजीत, राहुल वर्मा और संदीप को भी बरी कर दिया था। इसके अलावा, विशेष अदालत ने एक अन्य आरोपी अमरजीत को जमानत मिलने के बाद भगोड़ा घोषित कर दिया था।

अगस्त 2016 में हुई थी हत्या और बलात्कार की वीभत्स घटना
24-25 अगस्त, 2016 की मध्यरात्रि को डिंगरहेड़ी गांव में हथियारबंद लोगों ने 40 वर्षीय किसान और उसकी पत्नी की पीट-पीटकर हत्या कर दी। जबकि उनकी 21 और 16 साल की दो भतीजियों के साथ बलात्कार किया गया था। पुलिस ने शुरुआत में 25 अगस्त, 2016 को मामला दर्ज किया और चार लोगों – संदीप, करमजीत, अमरजीत और राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया था और उस साल नवंबर में चारों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। जिसमें उन पर सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया था। हालांकि, हरियाणा सरकार ने दिसंबर 2016 में मामला सीबीआई को सौंप दिया और केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में आईपीसी और पॉक्सो धाराओं के तहत अपना मामला दर्ज किया था। जिसके बाद सीबीआई ने कुल 12 लोगों को आरोपी बनाया। इनमें से एक ने बाद में आत्महत्या कर ली थी।

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