Greater Noida: नोएडा दादरी पुलिस को बीते 7 अक्टूबर को हायर गोल चक्कर के पास से एक शव मिला था, शव की पहचान होने के बाद मामला खुला, तो सभी के होश उड़ गए। मृतक अपने साथियों संग मिलकर फर्जी लोन दिलाकर करोड़ों की ठगी करता था। इसी सिलसिले में मृतक का साथियों संग विवाद भी चल रहा था। अब इसी फर्जी लोन मामले में पुलिस को बुधवार को एक और बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।

दो लोगों की हुई गिरफ्तारी

थाना दादरी पुलिस ने फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड और लोन कराने वाले गैंग के दो आरोपियों को बुधवार को गिरफ्तार किया है। जिनकी पहचान गोविन्द सिंह पुत्र हितेन्द्र सिंह और विशाल चन्द्र सुमन पुत्र सुमन कुमार के तौर पर हुई है। दोनों आरोपियों को आरवी नौर्थलैण्ड फ्लाईओवर पार करके सीएनजी पम्प से करीब 100 मीटर पहले से गिरफ्तार किया गया। हालांकि मामले में शामिल एक महिला बैंककर्मी अभी फरार है।

फ्रॉड करके लोन दिलाने के नाम पर करते थे ठगी

पुलिस ने पकड़े गए अभियुक्तों से पूछताछ कि तो मामला खुलकर सामने आया। इसमें अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि बीते 7 अक्टूबर को उनके साथी अमित कुमार सिंह का मर्डर हो गया था। इनकी पूरी एक गैंग थी, जिसमें इनके अलााव रामानन्द शर्मा उर्फ रमेश झा, सचिन तंवर उर्फ संदीप, अनुज यादव उर्फ करन, हिमांशु, ओमप्रकाश उर्फ शिवम उर्फ बैलू, मृतक अमित कुमार सिंह शामिल थे। ये सभी लोग फर्जी तरीके से लोन दिलाने का काम करते थे। उन्होंने बताया कि ये आधार कार्ड में रेन्ट एग्रीमेन्ट के आधार पर फर्जी तरीके से नाम, पता एवं मोबाइल नंबर बदलवाकर मृतक अमित कुमार सिंह की कम्पनी मैफर्स फैशन प्रा0 लि0 की पे स्लिप के आधार पर बैक में खाता खुलवाते थे। इसके बाद उसमें 6 से 9 महीने तक सैलरी के नाम पर एक मोटी रकम ट्रॉसफर की जाती थी।

फर्जीवाडे की कहानी सुनकर हो जाएंगे हैरान

ये गैंग फुल प्रूफ प्लान के साथ ठगी करता था। जिस भी व्यक्ति के नाम पर ये लोग लोग लोन कराते थे, उसके नाम पर एक नया मोबाइल व सिम भी खरीदते थे। जोकि बैंक मे अपडेट कराया जाता था। मोबाइल और सिम भी इन्हीं लोगों के पास रहता था। इसके बाद सिबिल स्कोर बढाकर पे स्लिप के आधार पर 40-50 लाख का लोन व 2-3 लाख रूपये की लिमिट का क्रेडिट कार्ड जारी कराते थे। इसके बाद ये लोग क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते में आए लोन के रूपयों का एक्सेस खुद रखते थे। जिस व्यक्ति के नाम पर क्रेडिट कार्ड और लोन जारी होता था, उसे सिर्फ 40-50 हजार रुपये और किसी-किसी को 1 लाख रूपये तक भी देते थे। बचे हुए रुपये ये अपने पास रख लेते थे। फिर 2-3 ईएमआई जमा करते थे, उसके बाद एड्रेस चेंज कर देते थे। दो तीन महीन बाद जब ईएमआई जमा नहीं होती थी तो बैंक वाले जब दिए गये पते पर सम्पर्क करते थे तो एड्रेस फर्जी होने के कारण वहां पर उन्हे कोई नहीं मिलता था। एक व्यक्ति का लोन पास होने पर कमीशन के नाम पर लगभग 4 से 5 लाख रूपये मिलते थे।

बरामद हुए 40 आधार कार्ड

पकड़े गए शातिरों के पास से पुलिस ने 206 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, अलग-अलग बैंकों के 58 पासबुक, 40 आधार कार्ड, 40 पैन कार्ड, 70 चैक बुक, 35 प्लास्टिक के फोल्डर किट, 6 पेटीएम स्वाइप मशीन, 32 मोबाइल और एक कार को बरामद किया है।

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