लखीमपुर खीरी के छोटे से गांव गोरिया के रहने वाले मुनीर ने नेत्रहीनों की जिंदगी रोशन करने का काम किया है. दरअसल मुनीर और उनकी टीम ने एक ऐसा चश्मा विकसित करने का लक्ष्य रखा जो कि दृष्टिहीनों की जिंदगी को आसान बना दे. ये चश्मा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित होगा. इसकी मदद से नेत्रहीन लोग चेहरे पहचानने, किताबें पढ़ने और अपनी दिनचर्या के अन्य कार्य बिना किसी मदद लिए कर सकेंगे. अपनी इसी खोज के बल पर मुनीर ने अमेरिका तक का सफर तय कर लिया और आज मुनीर साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं.

माइक्रोसाफ्ट ने किया मुनीर का सपोर्ट
एक सामान्य किसान परिवार से आने वाले मुनीर ने इस प्रोजेक्ट पर 7 महीने पहले काम शुरू किया था. मुनीर की कड़ी मेहनत और तकनीकी ज्ञान को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने उनके प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने का फैसला लिया. अब ये दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी ना केवल इस तकनीक के विकास में मदद कर रही है, बल्कि उन्हें $5000 की वित्तीय सहायता और मेंटरशिप भी प्रदान कर रही है. 26 अगस्त को माइक्रोसॉफ्ट ने मुनीर के स्टार्टअप कैडर टेक को अपने माइक्रोसॉफ्ट फॉर स्टार्टअप्स फाउंडर्स हब प्रोग्राम का हिस्सा बनाया. इसके तहत मुनीर को माइक्रोसॉफ्ट के सिएटल, वॉशिंगटन के कार्यालय में विशेष लैब में शोध करने की सुविधा दी जाएगी. ये साझेदारी मुनीर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

मुनीर का चश्मा पुरानी डिवाइसेस का एक विस्तृत रूप
देखा जाए तो नेत्रहीनों के लिए पहले से कुछ तकनीकें मौजूद हैं. जैसे स्क्रीन रीडर, ब्रेल डिवाइस, और ऑडियो नेविगेशन सिस्टम. स्क्रीन रीडर तकनीक कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर टेक्स्ट को आवाज में बदलने का काम करती है. ब्रेल डिवाइस पढ़ने-लिखने में मदद करती है. वहीं ऑडियो नेविगेशन सिस्टम के द्वारा नेत्रहीन लोग रास्तों और दिशाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन मुनीर का AI आधारित चश्मा इन सबका विस्तार होगा. ये केवल टेक्स्ट और आवाज तक सीमित नहीं रहने वाला है बल्कि वास्तविक समय में आस-पास की चीजों को पहचानने और निर्णय लेने में भी मदद करेगा.

गांव से शिक्षा लेकर विदेशी धरती पर रखा कदम
मुनीर की शैक्षिक यात्रा भी काफी प्रेरणादायक रही है. मुनीर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी की. इसके बाद इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद वे उच्च शिक्षा और शोध के लिए अमेरिका चले गए. वर्तमान में वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कैंसर के इलाज पर शोध कर रहे हैं. मुनीर की इस उपलब्धि से उनके परिवार और गांव में खुशी का माहौल है. लखीमपुर खीरी के लोग मुनीर के इस योगदान को गर्व से देख रहे हैं. मुनीर का ये प्रयास साबित करता है कि एक छोटे से गांव से निकलकर भी दुनिया में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. वहीं मुनीर और उनकी टीम का ये चश्मा नेत्रहीनों के जीवन में नई रोशनी लाने की उम्मीद जगाता है. ये न केवल तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा है. मुनीर जैसे युवाओं की मेहनत के बलबूते ही देश का नाम रोशन हो रहा है.

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