कहा जाता है कि सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता, ये बात काफी हद तक सही भी है. लोकसभा चुनाव में पार्टियों को जिनके साथ फायदा दिख रहा है वहीं उपचुनाव में उन्हीं पार्टियों से किनारा कर लिया गया है. जहां राजस्थान में कांग्रेस ने बीएपी और आरएलपी के साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस ने दोनों ही सहयोगी दलों के साथ किनारा कर लिया है. इसी तरह यूपी में सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर 2024 की चुनावी लड़ाई लड़ी लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस खाली हाथ रह गई. वहीं यूपी में बीजेपी ने भी निषाद पार्टी के कन्नी काट ली गई है. अब 2022 में निषाद पार्टी द्वारा जीती हुई मझवां सीट पर बीजेपी खुद चुनाव लड़ रही है. ऐसे ही बिहार में आरजेडी ने सहयोगी दल कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी गई है.

सहयोगी दलों से सपा और बीजेपी ने काटी कन्नी
यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिसमें से मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच ही दिख रहा है. सूबे की 9 सीटों में से 8 सीट पर बीजेपी खुद चुनाव लड़ रही है और एक सीट मीरापुर पर अपने सहयोगी आरएलडी के लिए छोड़ी है. जबकि निषाद पार्टी 2022 के आधार पर दो सीटें मझवां और कटेहरी मांग रही थी, तो आरएलडी मीरापुर और खैर सीट पर दावा कर रही थी. बीजेपी ने आरएलडी को मीरापुर सीट तो दे दी, लेकिन निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं दी. मझवां सीट भी नहीं मिली जहां पर खुद निषाद पार्टी का विधायक था.

सपा की छोड़ी दो सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस
इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और सपा ने मिलकर लोकसभा 2024 का चुनाव लड़ा था. वहीं इस बार विधानसभा उचुनावों में कांग्रेस यूपी की 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. जिस सीट पर बीजेपी और उसके सहयोगी दल का कब्जा था. सपा ने कांग्रेस को सिर्फ खैर और गाजियाबाद सीट ही दीं थी. सियासी समीकरण के लिहाज पर ये दोनों ही सीटें बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जा रही हैं तो विपक्ष के लिए कमजोर. ऐसे में कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर चुनाव लड़ने से अपने कदम पीछे हटा लिए हैं, तो सपा ने सभी 9 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.

बीजेपी और सपा को खुद पर भरोसा करके मैदान में कूदीं
यूपी के उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. यही कारण है कि बीजेपी और सपा जैसे दोनों ही प्रमुख दल अपने-अपने सहयोगी पार्टियों की जगह खुद पर ज्यादा भरोसा कर रही है. इसीलिए सपा कांग्रेस को उपचुनाव में सीट न देकर खुद ही बीजेपी से दो-दो हाथ करने को मैदान में उतर पड़ी है. इसी तरह बीजेपी ने दूसरे सहयोगी दलों के बजाय खुद अपने चुनावी सिंबल पर चुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने 8 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं तो वहीं एक सीट पर आरएलडी चुनाव लड़ेगी. इस बार बीजेपी और सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों से सबक लिया है. दोनों ही पार्टियों को लगता है कि अपने-अपने चुनाव निशान पर लड़ेगी तो जीत पक्की है, लेकिन किसी भी सहयोगी दल पर चुनाव लड़ती है तो जीत की गारंटी नहीं है.

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