बाबा के बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, लगाई फटकार, 10-10 लाख हर्जाना देने का दिया आदेश
- Nownoida editor2
- 01 Apr, 2025
Noida: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है.
2021 में प्रयागराज में बुलडोजर एक्शन में ध्वस्त किए गए एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन महिलाओं का घर ध्वस्त
कर दिया गया था. इसी मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही थी. कोर्ट ने घर
गिराने की प्रक्रिया को असंवैधानिक बताया है. वहीं, याचिकाकर्ताओं
को 10-10 रुपए हर्जाना के तौर पर देने का आदेश दिया है.
10-10 लाख का हर्जाना
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घर ध्वस्त करने की
प्रक्रिया मनमानी है और नागरिक अधिकारों का असंवेदनशील तरीके से हनन भी है. शीर्ष
अदालत ने कहा कि यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है और राइट टू शेल्टर नाम की भी को
चीज होती है. कोर्ट ने कहा कि नोटिस और अन्य समुचित प्रकिया नाम की भी कोई चीज
होती है, जिसका पालन नहीं हुआ.
अदालत ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि पांचों पीड़ितों को 10-10
लाख रुपए का हर्जाना दिया जाए.
प्रयागराज विकास प्राधिकरण की असंवेदनशीलता
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से तोड़फोड़ की गई, वह अमानवीय और गैरकानूनी है. इसलिए हर्जाना
दिया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह से तोड़फोड़ करना प्रयागराज विकास
प्राधिकरण की असंवेदनशीलता को दर्शाता है. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर
वेंकटरमणी ने राज्य सरकार की कार्रवाई को बचाव करते हुए कहा कि नोटिस देने में
उचित प्रक्रिया का पालन किया गया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत
कब्जा छुड़ाना और इसे रोकना मुश्किल काम है.
अखिलेश यादव ने फैसले का किया स्वागत
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस
फैसले के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल
मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है “सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है कि
प्रयागराज में 2021 में हुए एक बुलडोज़र एक्शन पर सभी
5 याचिकाकर्ताओं को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा 6 सप्ताह में 10-10 लाख मुआवज़ा दिया। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस मिलने के
24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने की कार्रवाई को अवैध घोषित किया है। सच तो ये है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता है और न ही उसके टूटने
का ज़ख़्म सिर्फ़ पैसों से भरा जा सकता है। परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना का
नाम है और उसके टूटने पर जो भावनाएं हत होती हैं उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न
ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है। परिवारवाला कहे
आज का, नहीं चाहिए भाजपा!”
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