उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में बुलडोजर एक्शन देखने को मिला है। अवैध निर्माण पर एक फिर से योगी प्रशासन ने बुलडोजर एक्शन चला है। लेकिन इस बार बुलडोजर एक्शन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल खड़े किए हैं। साथ ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार को जमकर घेरा और यूपी पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाया है।

25 ग़रीब परिवारों को बरसात में किया बेघर: अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में बुलडोजर एक्शन पर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट लिखा। अखिलेश यादव ने लिखा ये है प्रतिशोध से भरी भाजपाई राजनीति का वीभत्स चेहरा। भाजपा बसे-बसाये घरों को गिराकर सुख पाती है। जिन्होंने अपने घर नहीं बसाये, पता नहीं वो दूसरों के घर गिराकर किस बात का बदला लेते हैं। हर गिरते घर के साथ भाजपा भी और भी नीचे गिर जाती है।

अखिलेश ने आगे लिखा, अमृतकाल के सूचनार्थ- आज लोकसभा फर्रुखाबाद के विधानसभा अमृतपुर के ग्राम उखरा में सालों से बसे 25 ग़रीब परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाकर, न जाने कितने बड़े-बूढ़ों, बीमारों, बच्चों, माताओं, बहनों, बेटियों को भरी बरसात में बेघर किया गया। ये राजनीतिक क्रूरता की हद है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिया अखिलेश को जवाब!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इस पोस्ट पर यूपी पुलिस ने भी जवाब दिया। पुलिस ने अखिलेश द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताया। पुलिस ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा, गांव ऊखरा और करनपुर मजरा बांसमई में लोगों ने अवैध निर्माण कर रखा था। इस जगह पर ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर-2 योजना के तहत 400, 200, 132 केवी उपकेंद्र का निर्माण होना। इसकी जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था, जिसे एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार सदर और राजस्व विभाग की टीम के साथ स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में मुक्त कराया गया है।

क्या है ये पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के फर्रखाबाद जिले के फतेहगढ़ क्षेत्र में ग्राम समाज की जमीन पर बुलडोजर एक्शन हुआ है। बताया गया है कि ग्राम समाज की जमीन पर लोगों ने सालों से कब्जा जमा रखा था। लोगों ने यहां अपने अवैध तरीके से मकानों का निर्माण भी कर रखा था। ऐसे करीब 18 से ज्यादा परिवार हैं, जिनके घरों को बुलडोजर से तोड़ दिया गया है। चर्चा है कि ये सभी यादव परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इसकी जानकारी होते ही सपा मुखिया ने मुद्दा बना लिया और यूपी सरकार को घेर लिया। अब इस मामले को लेकर राजनीति शुरु हो गई है।

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