पहले फेज की वोटिंग के बाद अब मोदी की गारंटी रैलियों से गायब हो गई है. यहां तक की अबकी बार 400 पार का जो टारगेट सेट कर रखा है. उसके इतर अब बीजेपी M फैक्टर पर फोकस कर रही है. बीजेपी ने जब अपना संकल्प पत्र जारी किया था, उसमें भी विकसित भारत, मोदी की गारंटी जैसे मुद्दों पर सारा फोकस था. लेकिन पहले चरण की वोटिंग के बाद उस रणनीति में बदलाव देखने को मिल रहा है. ये बदलाव है बीजेपी का वापस हिंदुत्व की राजनीति पर लौटना, ध्रुवीकरण वाले दांव पर भरोसा दिखाना है. पॉलिटकल एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि यूपी, बिहार जैसे राज्यों में सिर्फ विकास के नाम पर वोट मिलना मुश्किल है. सिर्फ विकसित भारत का सपना दिखाकर लोगों को अपने पाले में करना आसान नहीं. इसी वजह से समय की नजाकत को परखते हुए एक तय रणनीति के तहत कांग्रेस के ही मेनिफेस्टो को डीकोड करने का काम हुआ है. ऐसा दिखाने की कोशिश हुई है कि कांग्रेस का घोषणा पत्र मुस्लिमों को फायदा देता है, वो पक्षपाती है और तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा देता है.

बीजेपी के लिए महिलाओं का मंगलसूत्र बन गया मुद्दा
पीएम मोदी ने पहले एक रैली में कहा था कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप दिखती है. इसके बाद पीएम मोदी ने कह दिया कि कांग्रेस ज्यादा बच्चे वाले लोगों को आपकी संपत्ति बांटना चाहती है. इसके बाद पीएम मोदी ने महिलाओं के मंगलसूत्र का जिक्र कर दिया और बोल दिया कि कांग्रेस वाले आपके मंगलसूत्र को भी बचने नहीं देंगे। अब कई लोगों को लग रहा है कि अचानक से पीएम मोदी ने मंगलसूत्र का जिक्र क्यों कर दिया. हैरानी की बात ये भी है कि कांग्रेस को घोषणा पत्र घोषित हुए कई दिन बीत गए, पीएम को दूसरे चरण से पहले ही मंगलसूत्र वाली बात कैसे याद आ गई? अब बीजेपी आधी आबादी का वोट चाहती है, ये बात हर कोई जानता है, लेकिन उससे बड़ी बात ये है कि पार्टी अब सिर्फ उज्जवला या फिर आवास के नाम पर उनसे वोट नहीं मांग सकती. पार्टी को कोई दूसरा भावुक मुद्दा भी चाहिए था जिसके जरिए महिलाओं को साधा जा सके. अब बीजेपी के लिए वो मुद्दा महिलाओं का मंगलसूत्र बन गया है.

23 में से 18 राज्य ऐसे जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर करती हैं वोटिंग
रिपोर्ट्स की मानें तो 23 में से 18 राज्य ऐसे हैं जहां पर महिलाएं बढ़-चढ़कर वोट डालती हैं, इनमें वो राज्य भी शामिल हैं जिनमें दूसरे चरण में वोटिंग होने वाली है. अब वो महिलाएं जिनके लिए मंगलसूत्र जरूरी है, उसमें अमीर भी शामिल है, गरीब भी शामिल है, दलित भी शामिल और दूसरी तमाम छोटी-बड़ी जातियां भी साथ हैं. आखिर इसकी जुर्रत क्यों पड़ी ये सवाल भी खड़ा होता है. जब इस बारे में Analysis किया गया तो पता चला कि बीजेपी के लिए ये ज्यादा जरूरी इसलिए हो गया है क्योंकि उसे विपक्ष के नेरेटिव को विफल करना है, इस समय इंडिया गठबंधन हर रैली में दावा कर रहा है कि बीजेपी को संविधान बदलने के लिए 400 सीटें चाहिए. लोगों को कहा जा रहा है कि देश में अगली बार चुनाव ही नहीं होने वाले हैं. अब उस पर काउंटर करते हुए बीजेपी ने महिलाओं के मंगलसूत्र और दूसरे ध्रुवीकरण वाले मुद्दों के जरिए खोज निकाला है.


जमीन पर इस बार राष्ट्रवाद की लहर नहीं
बीजेपी के ही लोकल नेता बताते हैं कि जमीन पर इस बार क्योंकि राष्ट्रवाद की लहर नहीं है, तो जीत हासिल करना कुछ मुश्किल हो सकता है. अब यहां पर कांग्रेस के घोषणा पत्र को मुस्लिम लीग से जोड़कर पीएम मोदी ने समाज में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. इसका असर चुनाव में कितना दिखता है ये देखने वाली बात होगी


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