Greater Noida: नोएडा दादरी पुलिस को बीते 7 अक्टूबर को हायर गोल चक्कर के पास से मृतक अमित का शव मिला था। शव मिलने के बाद पुलिस ने पडताल की तो पता चला कि ये करोड़ों के फर्जीवाड़ें का खेल है। मृतक अपने साथियों संग मिलकर फर्जी लोन दिलाकर करोड़ों की ठगी करता था। इसी सिलसिले में मृतक का साथियों संग विवाद भी चल रहा था। पुलिस ने मामले में गिरफ्तारी भी की है, लेकिन गुरुवार को पुलिस ने महिला बैंक कर्मी को गिरफ्तार किया, जोकि प्लान की मास्टरमाइंड कही जा रही है।
पुलिस ने महिला को घर से किया गिरफ्तार
पुलिस ने गुरुवार को फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये का बैंक लोन कराने के मामले में बैंक मैनेजर को गिरफ्तार किया गया है। थाना दादरी पुलिस ने आरोपी मैनेजर को उसके घर ग्रेटर नोएडा स्थित -2, 1606 ईको विलेज सोसायटी से गिरफ्तार किया है। बैंक मैनेजर की पहचान नेहा कुमार पत्नी विशाल चन्द्र सुमन के रूप में हुई है। केस को लेकर पुलिस ने बताया है कि गैंग के के ही कुछ सदस्यों को धोखाधड़ी के पैसों के बंटवारे को लेकर अमित राठौर की हत्या की थी। इस मामले में पुलिस ने बैंक मैनेजर नेहा के पति समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। इस मामले में अब भी एक आरोपी रमेश फरार चल रहा है। जिसे जल्द ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।
अपराध करने का तरीका
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, महिला अपने साथियों के द्वारा आधार कार्ड में रेन्ट एग्रीमेन्ट के आधार पर फर्जी तरीके से नाम, पता एवं मोबाइल नंबर बदलवाकर कम्पनी मैफर्स फैशन प्राइवेट लिमिटेड की पे स्लिप तैयार करवाती थी। फिर आधार पर नेहा के द्वारा एचडीएफसी बैक के क्रेडिट कार्ड व बैंक मे खाता खुलवाने और लोन कराने मे सहायता करती थी। लोन कराने के बाद नेहा एक मोटा कमीशन खुद लेती थी। बताया जा रहा है कि नेहा 5 से 10 लाख रुपये तक का कमान लेती थी।
बीते दिन हुई थी दो गिरफ्तारी
थाना दादरी पुलिस ने फर्जी तरीके से क्रेडिट कार्ड और लोन कराने वाले गैंग के दो आरोपियों को बुधवार को गिरफ्तार किया था। जिनकी पहचान गोविन्द सिंह पुत्र हितेन्द्र सिंह और विशाल चन्द्र सुमन पुत्र सुमन कुमार के तौर पर हुई है। दोनों आरोपियों को आरवी नौर्थलैण्ड फ्लाईओवर पार करके सीएनजी पम्प से करीब 100 मीटर पहले से गिरफ्तार किया गया। हालांकि मामले में शामिल एक महिला बैंककर्मी अभी फरार है।
फ्रॉड करके लोन दिलाने के नाम पर करते थे ठगी
पुलिस ने पकड़े गए अभियुक्तों से पूछताछ कि तो मामला खुलकर सामने आया। इसमें अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि बीते 7 अक्टूबर को उनके साथी अमित कुमार सिंह का मर्डर हो गया था। इनकी पूरी एक गैंग थी, जिसमें इनके अलााव रामानन्द शर्मा उर्फ रमेश झा, सचिन तंवर उर्फ संदीप, अनुज यादव उर्फ करन, हिमांशु, ओमप्रकाश उर्फ शिवम उर्फ बैलू, मृतक अमित कुमार सिंह शामिल थे। ये सभी लोग फर्जी तरीके से लोन दिलाने का काम करते थे। उन्होंने बताया कि ये आधार कार्ड में रेन्ट एग्रीमेन्ट के आधार पर फर्जी तरीके से नाम, पता एवं मोबाइल नंबर बदलवाकर मृतक अमित कुमार सिंह की कम्पनी मैफर्स फैशन प्रा0 लि0 की पे स्लिप के आधार पर बैक में खाता खुलवाते थे। इसके बाद उसमें 6 से 9 महीने तक सैलरी के नाम पर एक मोटी रकम ट्रॉसफर की जाती थी।
कमीशन के नाम पर वसूलते थे लाखों
ये गैंग फुल प्रूफ प्लान के साथ ठगी करता था। जिस भी व्यक्ति के नाम पर ये लोग लोग लोन कराते थे, उसके नाम पर एक नया मोबाइल व सिम भी खरीदते थे। जोकि बैंक मे अपडेट कराया जाता था। मोबाइल और सिम भी इन्हीं लोगों के पास रहता था। इसके बाद सिबिल स्कोर बढाकर पे स्लिप के आधार पर 40-50 लाख का लोन व 2-3 लाख रूपये की लिमिट का क्रेडिट कार्ड जारी कराते थे। इसके बाद ये लोग क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते में आए लोन के रूपयों का एक्सेस खुद रखते थे। जिस व्यक्ति के नाम पर क्रेडिट कार्ड और लोन जारी होता था, उसे सिर्फ 40-50 हजार रुपये और किसी-किसी को 1 लाख रूपये तक भी देते थे। बचे हुए रुपये ये अपने पास रख लेते थे। फिर 2-3 ईएमआई जमा करते थे, उसके बाद एड्रेस चेंज कर देते थे। दो तीन महीन बाद जब ईएमआई जमा नहीं होती थी तो बैंक वाले जब दिए गये पते पर सम्पर्क करते थे तो एड्रेस फर्जी होने के कारण वहां पर उन्हे कोई नहीं मिलता था। एक व्यक्ति का लोन पास होने पर कमीशन के नाम पर लगभग 4 से 5 लाख रूपये मिलते थे।