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Ghaziabad में कैंसर मरीज का खौफनाक कदम, पत्नी की हत्या कर खुदकुशी कर ली, सुसाइड नोट ने खोला राज

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गाजियाबाद के नंदग्राम थाना क्षेत्र की राधा कुंज-2 कॉलोनी से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को गहरे सदमे में डाल दिया है। कैंसर से जूझ रहे एक व्यक्ति ने पहले अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी और फिर खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें इस दर्दनाक कदम के पीछे की वजहें स्पष्ट रूप से लिखी गई हैं।

घटना के अनुसार, मूल रूप से मेरठ जिले के बिजौली गांव के निवासी कुलदीप त्यागी गाजियाबाद में अपने परिवार के साथ रहते थे। कुलदीप रियल एस्टेट का कारोबार करते थे और कुछ समय पहले उन्हें कैंसर होने का पता चला था। लेकिन यह जानकारी उन्होंने अपने परिवार से छुपाकर रखी थी। सुसाइड नोट में कुलदीप ने लिखा है कि वह इस गंभीर बीमारी से अकेले लड़ रहे थे और नहीं चाहते थे कि उनके इलाज पर लाखों रुपये खर्च हो, जिससे उनके परिवार पर आर्थिक बोझ पड़े।

कुलदीप ने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से पहले पत्नी निशु त्यागी को गोली मारी और फिर खुद को भी गोली मार ली। यह सब उस वक्त हुआ जब उनके दो बच्चे और पिता घर में ही मौजूद थे। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

एसीपी पूनम मिश्रा ने बताया कि घटनास्थल से मिले सुसाइड नोट में कुलदीप ने यह भी लिखा है कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने एक साथ जीने और मरने की कसम खाई थी। इसी वादे को निभाने के लिए उन्होंने पहले पत्नी की जान ली और फिर खुद भी अपनी जान दे दी। प्रथम दृष्टया मामला हत्या के बाद आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है और पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है।

इस घटना ने एक बार फिर समाज में मानसिक स्वास्थ्य और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के दर्द को उजागर कर दिया है। कुलदीप के मन में यह डर था कि उनके इलाज पर खर्च होने वाले पैसे उनके बच्चों और परिवार की जिंदगी को प्रभावित करेंगे। इसी मानसिक तनाव और अकेलेपन में उन्होंने यह चरम कदम उठा लिया।

गौरतलब है कि गाजियाबाद और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में कैंसर के मामलों में तेजी आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके पीछे मुख्य कारण प्रदूषण, तंबाकू और गुटखा जैसे नशीले पदार्थों का सेवन तथा अस्वस्थ जीवनशैली है। खासकर मुंह और फेफड़े के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वायु प्रदूषण के कारण शरीर में जहरीले कण प्रवेश करते हैं, जो फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं तब तक नहीं रुकेंगी जब तक समाज में गंभीर बीमारियों को लेकर जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य पर संवाद नहीं होगा। कुलदीप की आत्महत्या केवल एक पारिवारिक त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें बीमारियों से लड़ने वाले लोगों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।

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