Aligarh: शाखा ही संघ की पहचान: बाल स्वयंसेवक के घर पहुंचे मोहन भागवत, संघ को दिया बड़ा संदेश

- Rishabh Chhabra
- 21 Apr, 2025
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर नए संकल्पों और रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में शनिवार को एक अप्रत्याशित और प्रेरक दृश्य सामने आया जब संघ प्रमुख मोहन भागवत अलीगढ़ के एक सामान्य मोहल्ले में एक बाल स्वयंसेवक के घर अचानक पहुंचे। संघ प्रमुख का यह कदम न केवल चर्चा का विषय बना, बल्कि इसके पीछे छिपे गहरे संदेश ने भी सबका ध्यान खींचा।
शनिवार सुबह अलीगढ़ में मोहन भागवत एक घर के दरवाजे पर पहुंचे और बेल बजाकर पूछा, “क्या यह बाल स्वयंसेवक का घर है?” दरवाजा खोलने वालों को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ कि उनके सामने स्वयं संघ प्रमुख खड़े हैं। यह घर था महज 6 साल के बाल स्वयंसेवक विभोर शर्मा का, जो संघ की शाखा में नियमित रूप से भाग लेता है और अपनी लाठी चलाने की दक्षता के लिए जाना जाता है।
विभोर के पिता, विभाकर शर्मा, स्वयं भी संघ के सक्रिय स्वयंसेवक हैं और IT क्षेत्र में कार्यरत रह चुके हैं। उन्होंने अपने परिवार में संघ के संस्कारों को बखूबी आत्मसात किया है। यही कारण है कि बाल्यावस्था में ही विभोर संघ की शाखा का नियमित हिस्सा बन चुका है और उसमें गहरी रुचि लेता है।
मोहन भागवत ने विभोर के घर करीब आधा घंटा बिताया, परिवार से बातचीत की, विभोर को आशीर्वाद दिया और इस मुलाकात के माध्यम से एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने यह साफ किया कि संघ के लिए शाखा सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है और यही वह मंच है जहां से राष्ट्र निर्माण की नींव रखी जाती है।
संघ प्रमुख स्वयं कभी RSS के शारीरिक प्रमुख रहे हैं और लाठी संचालन में दक्षता के लिए प्रसिद्ध हैं। जब उन्हें बताया गया कि महज 6 साल का एक बाल स्वयंसेवक इतनी निपुणता से लाठी चलाता है, तो उन्होंने उससे मिलने का निश्चय किया। यह मुलाकात एक बाल स्वयंसेवक के प्रोत्साहन से कहीं अधिक, संघ के सिद्धांतों और प्राथमिकताओं की सार्वजनिक पुनर्पुष्टि थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इस अवसर पर उसने "हर बस्ती में शाखा, हर घर में संघ" का लक्ष्य तय किया है। मोहन भागवत की यह पहल यही दर्शाती है कि संघ की प्राथमिकता सियासत नहीं, बल्कि शाखा है — वही शाखा जो आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्र सेवा के लिए तैयार करती है।
इस कदम के ज़रिए RSS ने यह स्पष्ट किया है कि संगठन के शीर्ष पर बैठे लोग भी जमीनी कार्यकर्ताओं और बाल स्वयंसेवकों से सीधा संवाद बनाए रखते हैं। मोहन भागवत का यह दौरा बताता है कि संघ का असली बल उसकी शाखाओं और उनमें भाग लेने वाले स्वयंसेवकों में निहित है, चाहे वे किसी भी उम्र के क्यों न हों।
संघ प्रमुख का यह कदम न सिर्फ एक बाल स्वयंसेवक के लिए अविस्मरणीय अनुभव बना, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश भी था कि RSS आज भी अपने मूल स्वरूप और जड़ों से जुड़ा हुआ है — और उसकी असली ताकत शाखा से निकलने वाले संस्कारवान स्वयंसेवक ही हैं।
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