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OYO होटल बुकिंग में धोखाधड़ी, युवक को पूरी रात सड़क पर गुजारनी पड़ी, कोर्ट ने लगाया जुर्माना

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लखनऊ: ऑनलाइन होटल बुकिंग प्लेटफॉर्म OYO एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी मोहम्मद अनस के साथ हुई एक घटना ने होटल बुकिंग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लखनऊ में OYO ऐप के माध्यम से होटल बुक करने के बावजूद अनस को पूरी रात सड़क पर बितानी पड़ी। अब जिला उपभोक्ता आयोग ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए संबंधित होटल और OYO दोनों पर 55,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।

मोहम्मद अनस को किसी काम से लखनऊ जाना था। उन्होंने सहारनपुर से रवाना होने से पहले OYO ऐप के जरिए "ड्रीम पैलेस" नामक होटल की बुकिंग की और फोन-पे के माध्यम से भुगतान भी कर दिया। उन्हें जो पता बुकिंग कन्फर्मेशन में मिला, वह मुन्नीलाल धर्मशाला रोड, सब्जी मंडी, चारबाग, लखनऊ का था। रात के समय जब वह लखनऊ पहुंचे और दिए गए पते पर पहुंचे, तो उन्हें हैरानी का सामना करना पड़ा। वहां OYO द्वारा बुक किया गया कोई होटल मौजूद ही नहीं था।

कुछ तलाश के बाद उन्हें उस स्थान पर "ड्रीम पैलेस" नामक एक होटल मिला, लेकिन जब उन्होंने वहां जाकर अपनी बुकिंग की जानकारी दी, तो होटल प्रबंधन ने उनसे अतिरिक्त ₹1000 की मांग की। अनस ने जब कमरे की स्थिति देखी तो उन्हें यह और भी हैरान करने वाला लगा क्योंकि कमरे में वो सुविधाएं बिल्कुल नहीं थीं, जो OYO ऐप पर दिखाई गई थीं। इन परिस्थितियों में उन्होंने वह कमरा लेने से इनकार कर दिया और मजबूरी में उन्हें सड़क पर रात गुजारनी पड़ी।

इस अपमानजनक और कष्टदायक अनुभव के बाद मोहम्मद अनस ने जिला उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष सतीश कुमार, सदस्य राजीव कुमार और नूतन शर्मा ने कहा कि OYO और होटल दोनों की यह घोर लापरवाही है। आयोग ने माना कि शिकायतकर्ता को मानसिक और शारीरिक रूप से काफी पीड़ा पहुंची, जो क्षतिपूर्ति योग्य है।

कोर्ट ने OYO और होटल ड्रीम पैलेस को संयुक्त रूप से ₹50,000 का जुर्माना और ₹5,000 वाद खर्च के रूप में अदा करने का आदेश दिया।

यह घटना उन लाखों यात्रियों के लिए एक चेतावनी है जो ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं। उपभोक्ता आयोग का यह फैसला न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह होटल और ऑनलाइन बुकिंग कंपनियों को यह संदेश भी देता है कि उपभोक्ता अधिकारों की अनदेखी अब महंगी पड़ सकती है।

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