एमिटी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कुलपतियों का सम्मेलन, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे शुभारंभ
- Nownoida editor1
- 23 Jun, 2025
Noida: एमिटी विश्वविद्यालय में भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) द्वारा एआईयू की उत्कृष्टता के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर राष्ट्रीय कुलपतियों के सम्मेलन का 23 और 24 जून 2025 को आयोजन किया जायेगा। इस सम्मेलन का शुभारंभ करेगें उपराष्ट्रपति महामहिम जगदीप धनखड़ और एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान द्वारा किया जायेगा। उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति महामहिम जगदीप धनखड एआईयू की 100 वर्षों की उत्कृष्टता को दर्शाती एआईयू कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी करेंगे।
सम्मेलन में 300 से रहेंगे मौजूद
इस सम्मेलन का विषय ‘‘भविष्य की उच्च शिक्षा की परिकल्पना - भारत की निर्णायक भूमिका’’ है जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों 300 से अधिक कुलपति उपस्थित रहकर और 200 कुलपति ऑनलाइन हिस्सा ले रहे है। उक्त जानकारी आज एक प्रेस वार्ता के दौरान भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष प्रो विनय कुमार पाठक, एमिटी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) की प्रधान सचिव डा (श्रीमती) पंकज मित्तल ओर एमिटी विश्वविद्यालय के एडिशनल प्रो वाइस चांसलर डा संजीव बंसल ने प्रदान की।
कल आएंगी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष प्रो विनय कुमार पाठक, ने कहा कि बहुत गर्व और उद्देश्य की सामूहिक भावना के साथ एआईयू के कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। यह न केवल हमारी 100 वर्ष की यात्रा पर चिंतन करने का, बल्कि भारतीय उच्च शिक्षा के भविष्य को साहसपूर्वक आकार देने का क्षण है। एआईयू एकता और नवाचार के माध्यम से अकादमिक उत्कृष्टता, सहयोग और वैश्विक नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। 23 जून 2025 को इस सम्मेलन का शुभारंभ करेंगे उपराष्ट्रपति महामहिम जगदीप धनखड़ द्वारा किया जायेगा। समापन समारोह में 24 जून 2025 को राज्यपाल महामहिम आनंदीबेन पटेल होगीं मुख्य अतिथि होगी।
सम्मेलन उच्च शिक्षा के भविष्य को आकार देगा
एमिटी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि एमिटी यूनिवर्सिटी को एआईयू की शताब्दी के अवसर पर कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन की मेज़बानी करने पर बेहद गर्व और प्रसन्नता है। यह सम्मेलन भारत में शिक्षा के रोडमैप की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। विकसित भारत 2047 का विज़न तभी हासिल किया जा सकता है जब शिक्षा उद्योग राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ जुड़ जाए। उद्योगों के साथ सहयोग, बहु-विषयक दृष्टिकोण और समावेशी शिक्षा, साथ ही प्रौद्योगिकी का एकीकरण, कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं जो देश में शिक्षा के परिदृश्य को बदल देंगे। सम्मेलन का विषय आज के परिदृश्य में बेहद प्रासंगिक है क्योंकि यह भारत में उच्च शिक्षा के भविष्य को आकार देगा और नियामक निकाय विभिन्न नीतियों में आवश्यक बदलाव करने में सक्षम होंगे।
राष्ट्र निर्माण में एआईयू की स्थायी भूमिका का प्रमाण
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) की प्रधान सचिव डा (श्रीमती) पंकज मित्तल ने कहा कि कुलपतियों का राष्ट्रीय सम्मेलन भारतीय उच्च शिक्षा में अकादमिक संवाद को बढ़ावा देने और नीति को आकार देने की एआईयू की 100 साल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस वर्ष का विषय है, भविष्य की उच्च शिक्षा की परिकल्पना - भारत की महत्वपूर्ण भूमिका, जो शिक्षा, नवाचार और सतत विकास में भारत को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के लिए एआईयू की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 19 विदेशी विश्वविद्यालयों सहित 1086 सदस्य विश्वविद्यालयों और भारत के माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की गरिमामयी उपस्थिति के साथ, यह सम्मेलन उच्च शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में एआईयू की स्थायी भूमिका का प्रमाण है।
उच्च शिक्षा के परिवर्तन के लिए बनेगी कार्य योजना
सम्मेलन कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य परिणामों पर केंद्रित होगा, जिसके तहत भारत में उच्च शिक्षा के परिवर्तन के लिए एक व्यापक कार्य योजना की घोषणा की जाएगी और उच्च शिक्षा के भविष्य पर एक नीति पत्र लाया जाएगा। कुछ प्रमुख परिणामों में अत्याधुनिक तकनीकों, नवीन शिक्षण पद्धतियों और समावेशिता और स्थिरता को बढ़ावा देने वाली नीतियों को अपनाने पर आम सहमति शामिल होगी। सम्मेलन उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे रणनीतिक साझेदारी और नेटवर्क की स्थापना होगी, जिसमें कार्रवाई योग्य सिफारिशें शामिल होंगी और इसे नीति सुधारों और संस्थागत प्रथाओं का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार किया जाएगा; यह सुनिश्चित करते हुए कि भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली प्रासंगिक, लचीली और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनी रहे। कुलपतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी और इन सिफारिशों के आधार पर एक विश्वविद्यालय कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसे सभी राज्यों के राज्यपालों, मंत्रालयों और उच्च शिक्षा के शीर्ष निकायों यानी यूजीसी, एआईसीटीई, एनएएसी, सीओए, एनसीटीई, पीसीआई आदि को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजा जाएगा।
कार्यक्रम में ये सत्र होंगे आयोजित
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान, “वैश्वीकरण और अंतर्राष्ट्रीयकरण” और “भविष्य की उच्च शिक्षा की परिकल्पना - भारत की महत्वपूर्ण भूमिका” जैसे विषयों पर 2 पूर्ण सत्र आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा एआई जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करना”, “शिक्षण प्रक्रिया में आभासी और संवर्धित वास्तविकता”, “उच्च शिक्षा में साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता”, “अभिनव मूल्यांकन पद्धतियाँ और अनुभवात्मक शिक्षण”, “हरित और संधारणीय परिसरों का निर्माण” और कई अन्य जैसे विभिन्न विषयों पर 10 समानांतर ट्रैक आयोजित किए जाएंगे।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *







