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Sawan Special 2025: सावन में पार्थिव शिवलिंग पूजा से मिलता विशेष फल, जानिए इसकी सही विधि और जरूरी नियम

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श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. इसी कड़ी में मिट्टी से बने पार्थिव शिवलिंग की स्थापना और पूजन का विशेष विधान है
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श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. इसी कड़ी में मिट्टी से बने पार्थिव शिवलिंग की स्थापना और पूजन का विशेष विधान है. यह एक ऐसा साधन है, जिससे भोलेनाथ को जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है. लेकिन इस पूजा से संपूर्ण फल पाने के लिए कुछ नियमों और विधियों का पालन आवश्यक होता है.


कैसे तैयार करें पार्थिव शिवलिंग की मिट्टी


पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए शुद्ध मिट्टी का चयन सबसे महत्वपूर्ण है. इसके लिए किसी नदी, सरोवर या तालाब से दो हाथ गहरी मिट्टी निकाली जाती है. यदि यह संभव न हो, तो गमले की मिट्टी का भी प्रयोग किया जा सकता है. मिट्टी को छानकर उसमें थोड़ा गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर अच्छी तरह गूंथें, ताकि वह सख्त हो जाए और उसे आकार देना आसान हो.


बेलपत्र के साथ शिवलिंग का निर्माण


अब एक पात्र में तीन पत्तों वाला साबूत बेलपत्र रखें और उस पर गंगाजल छिड़कें. उसके बाद अंगूठे से ऊंचा न हो, ऐसा एक शिवलिंग बनाएं. ध्यान दें कि आकार संतुलित और श्रद्धापूर्ण हो. साथ ही शिवलिंग के चारों ओर जलहरि बनाना न भूलें.


पूजन स्थल की पवित्र तैयारी


शिवलिंग की स्थापना के लिए एक साफ लकड़ी की चौकी लें और उसे गेरू व गंगाजल से लीपकर पवित्र करें. फिर तैयार शिवलिंग को इस चौकी पर स्थापित करें. साथ ही श्रद्धानुसार 108 या 1008 छोटे लिंग भी बनाकर प्रमुख शिवलिंग के साथ रखें.


पूजन विधि और शिव का आह्वान


सबसे पहले भस्म अर्पित करें, और "ॐ शुलपाणये नमः" मंत्र का जाप करते हुए शिव का आह्वान करें. तीन बार ताली बजाकर शिव को आमंत्रित करें. इसके बाद जलाभिषेक और फिर पंचामृत अर्पण करें. पुष्प, गंध, धूप आदि श्रद्धानुसार अर्पित करें और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें.


विसर्जन का नियम न भूलें


पूजन के अंत में शिव की आरती करें और फिर पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन करें. यदि नदी या तालाब उपलब्ध न हो, तो घर में ही किसी साफ पात्र में विसर्जित कर उस जल को किसी पौधे या गमले में अर्पित करें, लेकिन ध्यान रखें कि यह जल तुलसी के पौधे में कभी न चढ़ाएं.

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