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Noida में सेना के रिटायर्ड अधिकारी से 1.10 करोड़ की ठगी, ऐसे ठगों ने बुजुर्ग को जाल में फंसाया

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नोएडा में एक बार फिर साइबर ठगी का मामला सामने आया है। ठगों ने  सेना के रिटायर्ड अधिकारी से 1.10 करोड़ रुपये की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है। फिलहाल पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई में जुटी हुई है। 

ठगों ने फोन बंद होने का दिखाया भय 

बताया जा रहा है कि सुभाष (काल्पनिक नाम) 75 वर्षीय सेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं और नोएडा में अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहते हैं। 11 जनवरी 2025 को दोपहर के समय उनके मोबाइल पर एक अनजान फोन कॉल आती हैं। कॉल करने वाले ने सुभाष को बताया कि वह जल्दी से जल्दी TRAI से संपर्क करें नहीं तो उनका फोन नम्बर 2 घंटे में बंद हो जाएगा। सुभाष ये सुन कर घबरा जाते है, जिसका फायदा उठाकर कॉलर ये बताता है कि सुभाष के मोबाइल और आईडी का प्रयोग अवैध गतिविधियों में किया जा रहा है जिसके संबंध में मुंबई साइबर क्राइम के पास जांच है। कॉलर ने सुभाष को तत्काल मुंबई साइबर क्राइम कोलाबा पुलिस स्टेशन से संपर्क करने के लिये हिदायत भी दी। इसके बाद कॉल करने वाले व्यक्ति ने फोन कॉल को ट्रांसफर किया और बताया कि जिस अधिकारी से अब आपकी बात होने जा रही है वह मुंबई क्राइम ब्रांच के आईपीएस अधिकारी हैं जो आपके केस की इंवेस्टीगेशन कर रहे है। 

साइबर क्राइम के 40 मुकदमे दर्ज होने की कही बात 

दूसरे व्यक्ति ने सुभाष को अपना परिचय भी मुंबई के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार(काल्पनिक नाम)के रूप में दिया और बताया कि सुभाष के खिलाफ साइबर क्राइम के 40 मामले दर्ज हैं और उसकी आईडी का प्रयोग करके लोगों को डरा धमका कर पैसा ठगा गया है , जिसकी जांच सीबीआई में भी चल रही है और उसकी आईडी का प्रयोग करके बड़े पैमाने पर हवाला का कारोबार किया गया है। हवाला का कारोबार करने के लिए सुभाष की आईडी से एक केनरा बैंक खाता मुंबई में खोला गया जिससे बड़े पैमाने पर हवाला का पैसा भारत मे आया है और इसलिए सुभाष पर देशद्रोह और मनी लॉड्रिंग का मुकदमा भी लिखा जा रहा है और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट निर्गत कर दिया गया है जिसके कारण बहुत ही जल्द मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच उसकी गिरफ्तारी करेगी या फिर वह अपनी सफाई के संबंध में तत्काल साइबर क्राइम पुलिस के सामने पेश हो और अपने आधार कार्ड और मोबाइल का जो गलत प्रयोग किया गया है उसके संबंध में अपने बयान रिकॉर्ड कराये।

ऐसे ठगों ने बुजुर्ग को किया डिजिटल अरेस्ट 

सुभाष के लिये ये सब बिल्कुल नया और डरावना था, इस स्थिति से बचने के लिये बुजुर्ग सुभाष ने मुंबई पहुंचने में असमर्थता व्यक्त की और बताया वह बहुत बुजुर्ग है इतनी जल्दी वहां नहीं आ सकता है। फिर आईपीएस अधिकारी ने थोड़ी सी सहूलियत दिखाते हुए उनसे कहा कि यदि आप नहीं आ सकते हैं तो आपको अपने बयान ऑनलाइन कमरे के सामने डिजिटल उपस्थित होकर देने होंगे और आपको अपना वीडियो कॉल जब तक वह बंद करने के लिए न कहें तब तक चालू रखना होगा। सुभाष को मुबंई जाने से अच्छा ये लगा की वहां इस डिजिटल युग में अपने बयान डिजिटली भी पुलिस को दे दे। इसके बाद आईपीएस अधिकारी राजीव ( काल्पनिक नाम) ने वीडियो कॉल करके सुभाष जी को इनटेरोगेड करने के लिये डिजिटली अरेस्ट किया ओर डिजिटल इंवेस्टीगेशन के नियम समझाये कि क्योंकि ये देशद्रोह का मुकदमा है इसलिए इसकी विवेचना बडे स्तर पर होगी और इसकी जानकारी उन्हें किसी भी परिचित को नहीं देनी है। 

परिचितों से बात ना करने का बनाया दबाव 

पुलिस अधिकारी ने सुभाष से उनके घर के सदस्यों के बारे में पूछा, उनके सारे बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी ली और उसके बाद उसने कहा कि मनी लॉड्रिंग का केस होने के कारण उसके रूपये किस सोर्स से आये है इसकी जांच की जाएगी और वह समस्त पैसा पुलिस द्वारा आरबीआई के एक सीक्रेट खाते में जमा किया जायेगा। जांच के बाद यदि वह पैसा सही है तो उसे तुरंत सुभाष को वापस कर दिया जाएगा अन्यथा जब्तीकरण की कार्यवाही की जायेगी। बुजुर्ग सुभाष जी घबरा गए, पर मन में उन्हें संतुष्टि थी की उन्होनें कुछ भी गलत नहीं किया है इसलिये उन्हें उनको सारा रूपये आरबीआई को वापस ही करना पडेगा। सोचा कि इस संबंध में वह अपने परिचितों से बात करें किंतु कॉलर अधिकारी ने सुभाष को कॉल पर जुडे रहने का दबाव बनाया और धमका कर ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि यदि वह कॉपरेट नहीं करेंगे तो उनको जेल भेज दिया जाएगा। पहले से दुखी सुभाष जी जेल की बात सुन कर और घबरा गये। उसके बाद फिर वह वैसा ही करते रहे जैसा उसे कॉलर द्वारा बताया गया। 

पीड़ित के बैंक अकाउंट कराए खाली 

इस दौरान एक व्यक्ति द्वारा सीबीआई अधिकारी बन कर भी सुभाष को उसके विरूद्ध हुयी एफआईआर की कॉपी व अरेस्ट वांरट दिखाकर इंटरोगेशन की गयी और सुभाष को अपने व पत्नी के अकाउंट का सारा पैसा आरबीआई के सीक्रेट खाते में जमा करने को कहा गया। सुभाष ने अपना व अपनी पत्नी का अकाउंट पैसा अपराधी द्वारा बताये गये बैंक खाते में आरटीजीएस नेट बैंकिग के माध्यम से ट्रांसफर कर दिया। इस दौरान अपराधी द्वारा सुभाष को अपनी पत्नी व बच्ची से बात करने से भी मना कर दिया गया। क्योंकि सरकारी प्रोसीजर के बीच में डाटा लीक करना एक अन्य अपराध को जन्म दे देगा। 

बैंक मैनेजर को बताने पर खुला मामला 

सीबीआई अधिकारी द्वारा सुभाष को बताया गया कि उनका केस तो मनी लॉड्रिंग के कुख्यात अपराधी नरेश गोयल के केस से जुड़ा है। इसलिये यदि कोई और इंवेस्टमेन्ट भी सुभाष ने की हुयी है तो उनका पैसा भी आरबीआई के खाते में जमा करें। ऐसा सुनकर डरकर सुभाष ने अपनी एफडी तुड़वाई और उसका पैसा भी आरटीजीएस के माध्यम से कॉलर द्वारा बताये गये बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। अब अधिकारी द्वारा बताया गया कि अगर सुभाष ने अपनी रिटायरमेन्ट का पैसा किसी और सोर्स में भी इंवेस्ट किया है तो वो भी वापस करें। इस बार जब सुभाष बैंक गये तो वह बहुत डरे हुये थे। तो बैंक मैनेजर ने उनसे पूछा कि रोज आप कहां पैसा भेजे जा रहें है। तब सुभाष ने सारी बात बैंक मैनेजर को बताई और बैंक मैनेजर ने अपना सिर पकड़ लिया। अब सुभाष को ज्ञान हुआ कि उनके साथ एक साइबर फ्रॉड हो रहा है तथा उनके विरूद्ध कोई एफआईआर नहीं हुयी है ना ही कोई पुलिस डिजिटली अरेस्ट करती है ना ही फोन पर कोई इंटेरोगेशन की जाती है। साथ ही आरबीआई का भी कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जिसमें रूपयों की जांच हो सके।अब तक वह 1 करोड 10 लाख रूपये विभिन्न खातों में भेज चुके थे।

डिजिटल अरेस्ट से रहें सावधान

यदि आपके पास कोई व्यक्ति स्वयं को सीबीआई अधिकारी, पुलिस अधिकारी, ईडी का अधिकारी नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी, इनकम टैक्स का अधिकारी बनकर कॉल करता है। उसके बाद आपको स्काइप/ जूम ऐप डाउनलोड करा कर वीडियो कॉल करने के लिए कहता है और आपका आईडी अवैध मादक पदार्थ के विक्रय में हवाला जैसे कारोबार/ मनी लॉड्रिंग/स्मैगलिंग/फेक इम्पोर्ट एक्पोर्ट में संलिप्त पाए जाने की बात कह कर डराता है। आपके विरुद्ध हुई एफआईआर दिखाता है, सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिखाता है या कोर्ट सुनवाई करवाता है।  तो यह व्यक्ति साइबर अपराधी है आपको डरना या भयभीत नहीं होना है इसकी तुरंत शिकायत अपने निकटवर्ती पुलिस स्टेशन य साइबर पुलिस स्टेशन में करनी है। साइबर अपराधी के कहने पर किसी भी खाते में कोई भी धनराशि ट्रांसफर नहीं करनी है। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप साइबर ठगी के शिकार बन सकते हैं।

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