Prayagraj से काशी तक भक्तों का सैलाब, महाकुंभ और शिवरात्रि को लेकर शासन-प्रशासन हाई अलर्ट

- Rishabh Chhabra
- 25 Feb, 2025
देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में महाशिवरात्रि के साथ महाकुंभ के अंतिम स्नान को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। प्रयागराज से काशी विश्वनाथ तक सभी बड़े शिवालयों में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
महाकुंभ में अंतिम स्नान, ट्रैफिक और सुरक्षा को लेकर हाई-लेवल बैठक
प्रयागराज के डीएम रविंद्र कुमार मांदड ने बताया कि महाशिवरात्रि पर अंतिम स्नान के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पार्किंग और ट्रैफिक डायवर्जन स्कीम लागू की गई है। हाई-लेवल बैठक में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के निर्देश दिए गए हैं।
काशी विश्वनाथ में वीआईपी दर्शन बंद, भक्तों को मिलेगी झांकी दर्शन की सुविधा
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है, लेकिन भीड़ को देखते हुए 27 फरवरी तक वीआईपी दर्शन बंद कर दिए गए हैं। भक्त केवल झांकी दर्शन कर सकेंगे, जबकि गर्भगृह में प्रवेश पर रोक रहेगी। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
कोयंबटूर में भव्य महाशिवरात्रि उत्सव, अमित शाह समेत कई दिग्गज होंगे शामिल
महाशिवरात्रि के अवसर पर कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में भव्य आयोजन होगा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार सहित कई दिग्गज शामिल होंगे। यह आयोजन 26 फरवरी को शाम 6 बजे से 27 फरवरी सुबह 6 बजे तक चलेगा, जिसमें सद्गुरु विशेष ध्यान और महामंत्र का सत्र कराएंगे।
इस ऐतिहासिक समारोह को 100 से अधिक स्थानों से लाइव प्रसारित किया जाएगा, जिसे 250 से अधिक टीवी चैनलों और डिजिटल प्लेटफार्मों पर देखा जा सकेगा।
सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के कड़े इंतजाम
महाशिवरात्रि और महाकुंभ के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुरक्षा को लेकर व्यापक इंतजाम किए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर देशभर में आस्था का जनसैलाब उमड़ने वाला है। सरकार और प्रशासन ने व्यवस्था को चाक-चौबंद कर दिया है ताकि हर भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस पावन अवसर का आनंद उठा सके।
कहां-कहां स्थित हैं 12 ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित है. माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर के क्षेत्र में चंद्रदेव ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था. जिससे प्रसन्न होकर भगवान यहां प्रकट हुए थे. चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है. इस मंदिर का नाम उन्हीं के नाम पर सोमनाथ पड़ा है.
महाकालेश्वर
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. रोज सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भगवान की भस्म आरती की जाती है. यहां पूजा और दर्शन करने से भय दूर होता है.
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत बना हुआ है. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी पार्वती के साथ शिव जी ज्योति रूप में विराजमान हैं. कहते हैं यहां दर्शन करने से ही अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश के इंदौर से करीब 80 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग. पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊंचाई से देखने पर ओम का आकार बना दिखता है और इसी वजह से ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है.
केदारनाथ धाम
केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है. रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि महाभारत के समय भगवान भोलेनाथ ने पांडवों को बेल रूप में दर्शन दिए थे. वर्तमान मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं-9वीं सदी में करवाया था.
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जो कि महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है. इन्हें मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि रावण के भाई कुंभकर्ण के पुत्र भीम ने पिता की मृत्यु से कुपित होकर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान प्राप्त किया.
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
उत्तरप्रदेश के वाराणसी यानी काशी में स्थित हैं विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग. यहां महादेव के साथ ही देवी पार्वती भी विराजमान हैं. कहते हैं शिवनगरी में देवर्षि नारद के साथ ही अन्य सभी देवी-देवता आते हैं और शिव पूजा करते हैं. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति काशी में मृत्यु होती है, उसे मोक्ष मिलता है.
त्र्यंबकेश्वर धाम
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है त्र्यंबकेश्वर धाम है. ये ब्रह्मगिरि पर्वत पर स्थित है. मान्यतानुसार यहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा एक साथ होती है. गौतम ऋषि के तप से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए थे.
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध त्रेतायुग से है. रावण शिव जी का परम भक्त था.वह हिमालय में शिवलिंग बनाकर तप कर रहा था. तपस्या शिव जी प्रसन्न होकर प्रकट हुए.रावण ने वर में मांगा कि वह ये शिवलिंग लंका में स्थापित करना चाहता है. शिव जी ने ये वरदान तो दे दिया, लेकिन एक शर्त रखी कि रास्ते में तुम ये शिवलिंग जहां रख दोगे, वहीं स्थापित हो जाएगा. रावण मान गया. रावण शिवलिंग उठाकर लंका ले जा रहा था, तभी रास्ते में उसने गलती से शिवलिंग नीचे रख दिया, इसके बाद शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया. देवी- देवताओं ने उनकी पूजा की थी. जिससे प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और सभी की प्रार्थना सुनकर ज्योति रूप में वहीं विराजमान हो गए. प्रसन्न शिव यहां ज्योति स्वरूप में विराजमान हैं.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है. शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव जी का एक नाम नागेश दारुकावने है. शिव जी नागों के देवता हैं और नागेश्वर का अर्थ ही नागों के ईश्वर है.
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम में स्थित है. त्रेतायुग में रावण का वध करने के बाद श्रीराम लंका से लौट रहा था. उस समय श्रीराम दक्षिण भारत में समुद्र किनारे रुके थे. श्रीराम ने समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाया और पूजा की थी. मान्यता है कि बाद में ये शिवलिंग वज्र के समान हो गया. श्रीराम के बनाए शिवलिंग को ही रामेश्वरम कहा जाता है.
घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास दौलताबाद क्षेत्र में स्थित हैं घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग.मान्यता है कि संतान की अभिलाषा रखने वाले दंपति यहां से खाली हाथ नहीं जाते. कथा ब्राह्मण दंपति सुधर्मा और सुदेहा से जुड़ी है. संतान प्राप्ति के लिए सुदेहा ने अपनी बहन घुश्मा का विवाह पति से कराया. घुश्मा शिवभक्त थी. उसे पुत्र प्राप्ति हुई लेकिन बहन ने ईर्ष्या वश उसे मार दिया. घुश्मा ने शिव आराधना की और प्रसन्न होकर भगवान ने प्रकट हुए और जीवित पुत्र लौटा दिया. तभी से वो यहां विराजमान हैं.
पुराणों के अनुसार, जो इंसान रोजाना प्रात:काल उठकर इन 12 ज्योतिर्लिंगों के नाम का पाठ करता है, उसके सभी प्रकार के पाप खत्म हो जाते हैं और उसे संपूर्ण सिद्धियों का फल प्राप्त होता है.
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