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UP में आध्यात्मिक पर्यटन की खुली नई राहें, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ये कॉरिडोर किए गए विकसित

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प्रयागराज में हुए महाकुंभ ने जहां एक ओर तीन नए कीर्तिमान स्थापित किए. तो वहीं दूसरी ओर यूपी में आध्यात्मिक पर्यटन के लिए नई संभावनाओं के रास्ते भी खोल दिए हैं. महाकुंभ के महाआयोजन को दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पांच प्रमुख कॉरिडोर विकसित करने का काम किया है. श्रद्धालु इन कॉरिडोर के जरिए प्रदेश भर के कई धार्मिक स्थलों की यात्रा का लाभ उठा सकेंगे. इतना ही नहीं ये कॉरिडोर वाराणसी, अयोध्या, लखनऊ और मथुरा समेत कई धार्मिक नगरों को भी एक साथ जोड़ेंगे.


पहला कॉरिडोर- प्रयाग-विन्ध्याचल-काशी

पहला कॉरिडोर प्रयाग-विन्ध्याचल-काशी है. इस कॉरिडोर के द्वारा श्रद्धालु प्रयागराज से विन्ध्याचल देवीधाम और फिर काशी (वाराणसी) तक की यात्रा करेंगे, जो कि शक्ति और शिव आराधना का प्रमुख मार्ग होगा.


दूसरा कॉरिडोर- प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर

दूसरा कॉरिडोर प्रयागराज-अयोध्या-गोरखपुर भगवान राम और गोरखनाथ परंपरा से जुड़ा हुआ है. प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने, लेटे हनुमान, अक्षय वट, सरस्वती कूप के दर्शन कर श्रद्धालु अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए जा सकते हैं. वहीं श्रद्धालु अयोध्या के बाद गोरखपुर जाकर गोरखनाथ मंदिर में माथा भी टेक सकेंगे.

तीसरा कॉरिडोर- प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य

तीसरा प्रयागराज-लखनऊ-नैमिषारण्य कॉरिडोर है. श्रद्धालुओं को ये रास्ता लखनऊ होते हुए नैमिषारण्य धाम तक ले जाएगा, जो कि हिंदू धर्म के 88 महातीर्थों में से एक है और 88 हजार ऋषियों की तपस्थली के रूप में मशहूर है. इसे भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु, देवी सती और भगवान शिव के साथ जोड़ा जाता है.

चौथा कॉरिडोर- प्रयागराज-राजापुर

चौथा प्रयागराज-राजापुर (बांदा)-चित्रकूट कॉरिडोर है. भगवान राम के वनवास से जुड़ा ये रास्ता श्रद्धालुओं को चित्रकूट धाम तक ले जाएगा, जहां कामदगिरि पर्वत, रामघाट और हनुमान धारा जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं. राजापुर गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली है, जिन्होंने श्रीरामचरितमानस, विनय पत्रिका आदि बहुत सी धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी.

पांचवां कॉरिडोर-प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ

पांचवां प्रयागराज-मथुरा-वृंदावन-शुकतीर्थ (बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे) के माध्यम से कॉरिडोर है. इस कॉरिडोर के माध्यम से श्रद्धालु बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के जरिए मथुरा-वृंदावन और फिर शुकतीर्थ तक जा पाएंगे, जो कि भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि शुक्राचार्य की तपस्थली के रूप में मशहूर है. इसके अलावा श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली और बाल्यकाल से जुड़े मथुरा वृंदावन की तरफ भी जा सकेंगे.

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