छठ पर्व की अपनी बड़ी मान्यता है। चार दिन का ये विशेष त्योहार सूर्य देव और छठ माता को समर्पित है। छठ पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों ही तरह के काफी महत्व है। दीपावली के बाद इसे मनाया जाता है। छठ पूजा का आरंभ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय की परंपरा के साथ हो जाता है।
4 दिन चलता है छठ पर्व
छठ पर्व चार दिन चलता है। पर्व के दूसरे दिन खरना की रस्म पूरी की जाती है। छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है। छठ पूजा के चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि हिंदू धर्म में उगते सूर्य को जल अर्पण की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन छठ पर्व में डूबते सूरज को भी जल अर्पण किया जाता है।
डूबते सूरज को क्यों किया जाता है जल अर्पण
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक, इस दिन शाम के समय किसी तालाब या नदी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि डूबते समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ में होते है और इस समय इनको अर्घ्य देने से जीवन में चल रही हर प्रकार की समस्या दूर होती है और मनोकामना पूर्ति होती है। कहते हैं कि ऐसा करने के सुख और समृद्धि मिलती है। साथ ही डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में संतुलन, शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
2024 में छठ पर्व के 4 दिन
- छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024- नहाय खाय
- छठ पूजा का दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना
- छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024-डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
- छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण
नोट: ये जानकारी मान्यताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई है।