ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एक अलग ही स्थिति दिखाई दे रही है. जहां पर सरकारी सेवाओं से रिटायर अधिकारियों को प्राधिकरण में नियुक्त किया जा रहा है. इतना ही नहीं अधिकारी भी ऐसे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं उन्हें ही बार-बार प्राधिकरण में कुर्सी सौंपी जा रही है. प्राधिकरण की इस व्यवस्था के चलते सालों से किसान प्राधिकरण के बाहर अपने कार्यों के पूरा होने की आस लगाए बैठें हैं लेकिन उनके काम नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि आखिर रिटायर और भ्रष्ट कर्मचारियों को रखने की क्या मजबूरी है.

प्राधिकरण की छवि धूमिल कर रहे भ्रष्ट रिटायर अधिकारी
प्राधिकरण में रिटायर अधिकारी और कर्मचारियों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है. इनमें से ज्यादातर अधिकारी कर्मचारी सिर्फ भ्रष्टाचार के मौके ढूंढ रहे हैं. इन लोगों को यहां के विकास और प्राधिकरण की छवि को बनाए रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है. ना ही प्राधिकरण के प्रति उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं बनती है लेकिन इसके भी भ्रष्टाचार के आरोपियों को बार-बार प्राधिकरण में रखा जा रहा है. केवल नाम मात्र के एक या दो रिटायर अधिकारी है. जो जिम्मेदारी के साथ अपना काम कर रहे हैं और अपनी पूरी भूमिका निभा रहे हैं.

भूमि विभाग में सबसे ज्यादा रिटायर्ड अधिकारी कर रहे भ्रष्टाचार
प्राधिकरण का भूमि विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है. वहीं सालों से किसान इसी विभाग के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. साथ ही प्राधिकरण के आए दिन चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनके कोई भी काम नहीं किए जा रहे हैं. किसानों के काम ना होने का मुख्य कारण भी रिटायर अधिकारियों की भूमि विभाग में तैनाती ही है. बता दें कि पिछले दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों में ही प्रोजेक्ट विभाग से कुछ रिटायर अधिकारियों को हटाया गया था. जिनको साइन करने का अधिकार दे दिया गया था उनसे भी साइनिंग का अधिकार छीन लिया गया था क्योंकि ये लोग अपनी जेब भरने में लग गए थे. इन्हें सलाहकार के रूप में रखा गया था लेकिन ये लोग सीनियर अधिकारी बन बैठे और प्राधिकरण के अधिकारी कर्मचारियों को धमकाने और डराने लगे.

आखिर क्यों की जा रही है भ्रष्ट अधिकारियों की नियुक्ति
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की नियुक्ति करने का आखिर कारण क्या है. अगर प्राधिकरण में कर्मचारियों की कमी है तो क्यों नहीं नई भर्तियां या फिर संविदा पर लोगों को नियुक्त किया जा रहा है. ये कौन सी व्यवस्था है जिसमें रिटायर अधिकारियों को फिर से सेवा का मौका दिया जा रहा है. वो भी जनता की नहीं बल्कि खुद की. आखिर क्यों जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं.

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