Greater Noida: केंद्र और राज्य सरकारें वायु प्रदूषण रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसको लेकर सख्त नियम भी बनाएं हैं लेकिन दिल्ली एनसीआर में पर्क नहीं पड़ रहा है। धान कटाई के बाद अब पराली की आग पंजाब, हरियाणा और यूपी में सुलगने लगी है। इसी कड़ी में गौतमबुद्ध नगर में सोमवार को पराली जलाने का पहला मामला सामने आया है। सेटेलाइट से पराली जलाने की इमेज सामने आई तो प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम मौके पर पहुंची।

15 बीघे की पराली में दो किसानों ने लगाई थी आग
दरअसल, दनकौर के बेला कलां गांव के किसान आमिर और शहजाद ने धान की कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई कराने के बाद करीब 15 बीघा खेत में आग लगा दी थी। पराली में लगी आग सेटेलाइट में कैद हो गई। इसके बाद खेतों में पहुंचकर अधिकारी रोटावेटर चलवाकर आग पर काबू पाया। कृषि विभाग ने दोनों किसानों के साथ कंबाइन हार्वेस्टर मशीन संचालक के खिलाफ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके बाद इनके खिलाफ अर्थदंड की कार्रवाई की जाएगी बल्कि एफआईआर भी दर्ज होगा।

पराली जलाने में अछूता नहीं जिला
बता दें कि धान की कटाई शुरू हो गई। पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के साथ ही शहरों की हवा में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। किसान पराली न जलाएं इसके लिए न्याय पंचायत स्तर पर निगरानी टीमें गठित की गई हैं। वहीं, केंद्र सरकार सेटेलाइट से भी खेतों की निगरानी कर रही है। इसके बाद भी पराली जलाने के मामले रुक नहीं रहे हैं।

हर साल बढ़ जाता है प्रदूषण का स्तर
गौरतलब है कि पराली जलने की वजह से दिल्ली समेत आसपास के राज्यों में हर साल इस मौसम में प्रदूषण का स्तर हर बढ़ जाता है। कई सालों से पराली जलने की वजह से प्रदूषण के हालात में कोई बदलाव नहीं आया है। पराली जलने से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ मिट्टी की उपजाऊ सतह को भी नुकसान पहुंचता है। पराली जलाने का सिलसिला 15 अक्टूबर से शुरू हो जाता है, लेकिन इसका सबसे अधिक प्रभाव नवंबर में दिखाई देता है। खासकर दिवाली के बाद तो व्यापक असर दिखता है। फसल अवशेषों को आग लगाने से हवा जहरीली हो जाती है। जिसका खामियाजा आमजन को हर साल भुगतना पड़ता है।

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