22 फरवरी आपको आज की तारीख तो याद ही होगी। क्या कह रहे हैं आपको आज की तारीख नहीं याद। आप भी सोच रहे होंगे भला आज की तारीख हम क्यों याद रखें। अरे आप भूल गए आज ही के दिन तो हमें आइंस्टीन हेयर स्टाइल वाले चचा मिले थे। याद आया कुछ! जी हां आज ही के दिन तीन साल पहले बड़ौत कोतवाली क्षेत्र के मेन बाजार में एक चाट दुकानदार ने दूसरे चाट दुकानदार के ग्राहक को अपने पास बुला लिया था। जिसको लेकर दर्जन भर दुकानदारों के बीच ऐसी जंग छिड़ी कि लोग आजतक उसे याद करते हैं। खासकर, आइंस्टीन हेयर स्टाइल वाले चचा को जिनके Memes अभी भी ट्रेंड करते रहते हैं।

क्या था पूरा मामला?

22 फरवरी 2021 को बागपत के बड़ौत कोतवाली क्षेत्र में दो चाट की दुकानें थीं और दोनों चाट दुकानदारों के बीच ग्राहकों को बुलाने को लेकर विवाद हो गया। जिसके बाद दोनों पक्ष के लोगों ने एक दूसरे को बीच सड़क गिरा-गिराकर पीटा था। मामले में पुलिस ने करीब दर्जन भर लोगों को हिरासत में लिया में लिया था. हालांकि, बाद में सभी को जमानत मिल गई थी। लेकिन इसके बाद से हरेंद्र सिंह रातों रात फेमस हो गए थे। जिनकी आज भी खूब चर्चा होती है। लोग उन्हें आइंस्टीन हेयर स्टाइल वाले चचा के नाम से बुलाते हैं। उनकी दुकान पर लोगों की भीड़ लगने लगी। उनके इंटरव्यू छपने लगे।

सेल्फी और इंटरव्यू से परेशान होकर चचा ने बदला लुक

बागपत के चाट वाले चाचा के नाम से मशहूर हुए हरेंद्र सिंह ने इन सबसे तंग आकर अपना लुक ही चेंज कर दिया। हरेंद्र सिंह ने अपने लंबे बालों को कटवा लिया। वहीं जब उनसे लुक चेंज करने का कारण पूछा गया तो हरेंद्र बोले ’कि बालों के कारण वह सेलिब्रिटी की तरह प्रसिद्ध हो गए थे और लड़के-लड़कियां उनके साथ सेल्फी लेते थे, इससे दुकान चलाने में दिक्कत होती थी। ग्राहक हैंडल करने में परेशानी हो रही थी,  इसी वजह से अपने बाल कटवा दिए।  

सोशल मीडिया पर ‘चाट युद्ध’ को याद कर लोग ले रहे मजे

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X  पर ‘चाट युद्ध’ का वीडियो शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा- “मानव जाति के इतिहास की पौराणिक लड़ाई। बागपत की लड़ाई के तीसरी सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं.”

एक अन्य यूजर ने लिखा- ’आज बागपत के प्रसिद्ध चाट युद्ध की तीसरी वर्षगांठ है। आइंस्टीन लुक वाले चाचा के मूव्स का मुकाबला नहीं।’  

एक और यूजर ने लिखा- ’आज हम उपमहाद्वीप के इतिहास में लड़ी गई सबसे निर्णायक लड़ाई की सालगिरह मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। वह लड़ाई जिसने भारत को अपना घर कहने वाले अरबों लोगों के लिए सांस्कृतिक परिवेश को परिभाषित किया। देवियो और सज्जनों, बागपत की लड़ाई।’

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