इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में एतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को पीड़िता से शादी करने की शर्त पर जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने अभिषेक की याचिका पर यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जेल से रिहा होने के बाद पीड़िता से शादी करेगा और अपने नवजात बच्ची की देखभाल भी करेगा।

अपराध सिद्ध होने तक आरोपी निर्दोष माना जाता है
कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में चुनौती शोषण के वास्तविक मामलों और सहमति से बने संबंधों के मामलों के बीच अंतर करने की होती है। न्याय सुनिश्चित करने के लिए सूक्ष्म दृष्टिकोण और सावधानीपूर्वक न्यायिक विचार की आवश्यकता होती है। किसी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक उसका अपराध सिद्ध न हो जाए। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस आधार पर नहीं छीना जा सकता कि उस पर आरोप है।

शादी का झांसा देकर संबंध बनाने था आरोप
मामले के अनुसार, सहारनपुर के थाना चिलकाना में अ​भिषेक पर पॉक्सो और दुष्कर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था। ​शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी बेटी से शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इ दौरान उसकी बेटी गर्भवती हो गई। बाद में आरोपी ने शादी का वादा पूरा करने से इन्कार कर दिया। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि उसकी बेटी 15 साल की है।

तीन महीने में शादी करने और 2 लाख भी जमा करने की शर्त
वहीं, याची अभिषेक के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट से पीड़िता की उम्र 18 वर्ष निर्धारित हुई है। साथ ही सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयान में पीड़िता ने किसी भी प्रकार के बल प्रयोग से इन्कार किया है। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि अभिषेक पीड़िता की जिम्मेदारी लेने और उससे शादी करने के लिए तैयार है। इसके बाद कोर्ट ने अभिषेक की जमानत अर्जी इस शर्त पर स्वीकार की कि वह जेल से रिहा होने के 3 महीने के भीतर पीड़िता से विवाह करेगा। इसके साथ ही उसकी नवजात बच्ची की देखभाल करेगा। यही नहीं जेल से रिहा होने की तिथि से 6 महीने की अवधि के भीतर पीड़िता के वयस्क होने तक उसके नवजात शिशु के नाम पर 2 लाख रुपये की जमा करेगा.

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