तीसरे चरण के लिए सात मई को वोटिंग होगी। लोकसभा चुनाव के तीसरे फेज में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 94 सीटों पर मतदान है। इनमें से 10 सीटें उत्तर प्रदेश की भी हैं। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर 100 उम्मीदवार मैदान में है। तीसरा चरण कई मंत्रियों की साख का भी इम्तिहान लेगा। भले ही यह लोकसभा का चुनाव हो लेकिन इस बार केंद्र के साथ ही राज्य सरकार के मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। तो वहीं इस चरण में सपा के उम्मीदवारों के साथ-साथ मुलायम परिवार के लोगों की भी अग्निपरीक्षा है। मोदी सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल खुद मैदान में है तो योगी सरकार के मंत्री जयवीर सिंह और अनूप वाल्मीकि को तीसरे चरण में परीक्षा से गुजरना होगा। इसके अलावा योगी सरकार के सात मंत्रियों पर अपने इलाके की सीटों पर बीजेपी को जिताने की टॉस्क है।

2019 के चुनाव में इन 10 सीटों में से बीजेपी ने 8 सीटें जीतीं
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण में 10 सीट पर चुनाव है। जिसमें हाथरस, संभल, आगरा, फतेहपुर सीकरी, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं, आवंला, बरेली और एटा सीट शामिल है। 2019 के चुनाव में इन 10 सीटों में से बीजेपी ने 8 सीटें जीती थी जबकि सपा सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी। बसपा और सपा इस बार अलग-अलग चुनावी मैदान में है, लेकिन कांग्रेस और सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। बीजेपी ने सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं तो इंडिया गठबंधन के तहत एक सीट पर कांग्रेस और 9 सीट पर सपा चुनाव लड़ रही है। बसपा ने सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन बरेली सीट के उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया है। इसके चलते बसपा तीसरी फेज में 9 सीटों पर चुनावी मैदान में है। इस चरण में आगरा और हाथरस सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है तो बाकी सीटें अनरिजर्वड है।

आगरा में मोदी सरकार के एक तो योगी सरकार के दो मंत्री मैदान में
तीसरे चरण में मोदी सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल की अग्निपरीक्षा है। आगरा सुरक्षित लोकसभा सीट से एसपी सिंह बघेल लगातार दूसरी बार चुनावी मैदान में है। बघेल का मुकाबला सपा के सुरेश चंद कर्दम और बसपा की पूजा अमरोही से है। सपा प्रत्याशी सुरेश चंद कर्दम जूता कारोबारी हैं जो वर्ष 2000 में आगरा से महापौर का चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं पूजा अमरोही कांग्रेस नेता सत्या बहन की पुत्री हैं। इस तरह से तीसरे चरण में एसपी बघेल की परीक्षा होनी है। उनके साथ-साथ योगी सरकार के दो मंत्रियों की साख भी दांव पर है। योगी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय को भी इस चरण में अपना राजनीतिक कौशल साबित करना होगा. आगरा लोकसभा इलाके के तहत आने वाले आगरा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से उपाध्याय बीजेपी विधायक हैं। विधायक और मंत्री होने के नाते लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को जिताने का जिम्मा उनके कंधों पर है। आगरा के निवासी होने के नाते योगी सरकार के नागरिक सुरक्षा एवं होमगार्ड राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति की साख भी आगरा सीट के चुनावी नतीजे से जुड़ी है। योगी सरकार के दोनों मंत्रियों को आगरा लोकसभा सीट से बीजेपी को जिताकर खुद को साबित करने की है।

मैनपुरी और हाथरस में भी तीखी टक्कर
मैनपुरी सीट से सपा की डिंपल यादव के खिलाफ बीजेपी से योगी सरकार के मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। जयवीर सिंह मैनपुरी सदर सीट से बीजेपी के विधायक हैं। सपा अपने गठन के बाद से लगातार मैनपुरी सीट जीतती आ रही है। 1996 से लेकर अभी तक सपा मैनपुरी में नहीं हारी है। इस बार बीजेपी ने जयवीर सिंह को उतारा है, जो योगी सरकार के कद्दावर मंत्री माने जाते हैं और ठाकुर समुदाय से आते हैं। लेकिन डिंपल यादव के सामने उनकी दाल गलना आसान नहीं है। वहीं हाथरस लोकसभा सीट पर बीजेपी से चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे अनूप वाल्मीकि योगी सरकार में मंत्री हैं। जो कि अलीगढ़ के खैर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। बीजेपी ने इस बार उन्हें हाथरस सीट अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटकर दिया है। हाथरस में अनूप वाल्मीकि का मुकाबला सपा के जसवीर वाल्मीकि और बसपा के हेमबाबू धनगर से है। ग्राम प्रधान से विधायक और फिर राज्य मंत्री तक का सफर तय करने वाले अनूप वाल्मीकि के लिए हाथरस सीट को बचाए रखने की चुनौती है। बीजेपी के लिए यह सीट काफी मजबूत मानी जाता रही है। ऐसे में अनूप वाल्मीकि को विधायकी के बाद संसदीय सीट जीतने की चुनौती है।

फतेहपुर सीकरी के साथ-साथ आगरा सीट भी बनी चुनौती
फतेहपुर सीकरी सीट पर बीजेपी के राज कुमार चाहर का मुकाबला कांग्रेस के रामनाथ सिकरवार और बसपा के राम निवास शर्मा के बीच माना जा रहा है। योगी सरकार में महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्य की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। बेबी रानी फतेहपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आगरा ग्रामीण क्षेत्र से बीजेपी विधायक हैं। महिला कल्याण मंत्री होने के नाते भाजपा की उनसे यह अपेक्षा होगी कि वह आधी आबादी के बीच पार्टी के जनाधार को मजबूती देंगी। इसके अलावा बीजेपी की जाटव चेहरा मानी जाती है, जिसके चलते दलितों के बड़े वोटबैंक जाटव समाज को भी साधने की है। फतेहपुर सीकरी के साथ-साथ आगरा सीट पर दलित वोटों को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने की चुनौती है।

आंवला सीट पर होगा त्रिकोणीय मुकाबला
आंवला लोकसभा सीट पर बीजेपी के दो बार से सांसद धर्मेंद्र कश्यप की साख दांव पर है। बीजेपी ने एक बार फिर से उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है। जिनका मुकाबला बसपा के आबिद अली और सपा ने नीरज मौर्य के बीच है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। राज्य सरकार में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह आंवला विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के विधायक हैं। जो कि आंवला लोकसभा सीट का हिस्सा है। क्षेत्रीय विधायक और मंत्री के रूप में लोकसभा चुनाव में वह आंवला सीट पर बीजेपी की जीत दिलाने के लिए मशक्कत करनी होगी.

संभल सीट पर बीजेपी को जीत मिलना काफी अहम
बात करें संभल लोकसभा सीट की तो 2019 में सपा के शफीकुर्रहमान बर्क ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उनके निधन के बाद सपा ने उनके पोते जियाउर्रहमान को प्रत्याशी बनाया है। सपा से जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ बीजेपी से परमेश्वर लाल सैनी और बसपा से शौलत अली चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी यह सीट 2014 में जीती थी, लेकिन पिछले चुनाव में हार गई है। संभल सीट पर योगी सरकार की माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। गुलाब देवी इस लोकसभा सीट के चंदौसी विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं। इस तरह संभल सीट पर बीजेपी को जीत दिलाने का टॉस्क है।

अरुण सक्सेना पर बीजेपी के छत्रपाल गंगवार को जिताने का जिम्मा
बरेली लोकसभा सीट पर सपा के प्रवीण कुमार ऐरन और बीजेपी के छत्रपाल सिंह गंगवार के बीच सीधा मुकाबला है। बसपा प्रत्याशी छोटेलाल गंगवार का पर्चा निरस्त हो गया है। बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता संतोष गंगवार का टिकट काटकर छत्रपाल गंगवार को उतारा है। जो 2022 के विधानसभा चुनाव में बहेड़ी सीट से चुनाव हार गए थे। बरेली विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक और राज्य सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना के लिए भी तीसरा चरण कम प्रतिष्ठापरक नहीं है। सक्सेना को अपनी राजनीतिक कौशल को साबित करने के लिए बीजेपी के छत्रपाल गंगवार को जिताने का जिम्मा है।

कल्याण सिंह के बेटे-पोते की प्रतिष्ठा भी दांव पर
एटा लोकसभा सीट पर बीजेपी ने कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह पर एक बार फिर भरोसा जताया है। राजवीर के खिलाफ सपा ने देवेश शाक्य और बसपा ने मोहम्मद इरफान पर दांव खेला है। कल्याण सिंह के बेटे और पोते दोनों की परीक्षा तीसरे चरण के चुनाव में होनी है। राजवीर सिंह के बेटे संदीप सिंह यूपी की योगी सरकार में मंत्री है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह तीसरे चरण में एटा लोकसभा सीट पर जीत की तिकड़ी लगाने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं और उनके पुत्र बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह इस लोकसभा सीट के पड़ोस के अतरौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस तरह पुत्र होने के नाते संदीप सिंह की प्रतिष्ठा भी पिता के चुनाव से जुड़ी है।

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