Noida: राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने सुपरटेक समूह की उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में अटकी 16 परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनबीसीसी) को सौंप दी है। यह निर्माण कार्य एनबीसीसी को 12 से 36 महीनों में पूरा करना होगा, जिस पर 9,945 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस निर्णय से 49,748 फ्लैट खरीदारों को उनका घर मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
फ्लैट खरीदारों के लिए राहत
एनसीएलएटी के इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे घर निवेशकों और खरीदारों का भरोसा बढ़ेगा। एनबीसीसी के आने से इको विलेज-3, स्पोर्ट्स विलेज, इको सिटी, अपकंट्री, ग्रीन विलेज, हिलटाउन, अरावली, रिवर फ्रंट और कैप टाउन जैसी परियोजनाओं के निर्माण कार्य को गति मिलेगी।
9,945 करोड़ रुपये की लागत
विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के मानदंडों के अनुरूप लिया गया है। खास बात यह है कि फ्लैट खरीदारों को केवल वही पैसा देना होगा, जो बिल्डर पर अभी बकाया है। हालांकि, अधिकांश खरीदार पहले ही अपने फ्लैट का बड़ा हिस्सा बिल्डर को चुका चुके हैं। इन 16 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 9,945 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके तहत 49,748 फ्लैटों का निर्माण किया जाएगा। सुपरटेक के कुल 17 प्रोजेक्ट्स में से एक परियोजना दिवालियापन की प्रक्रिया में है।
मई 2025 तक शुरू होगा निर्माण कार्य
निर्माण कार्य मई 2025 में शुरू किया जा सकता है। इससे पहले एनबीसीसी को एक एस्क्रो अकाउंट खोलना होगा, जो एनबीसीसी और इनसाल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) की निगरानी में रहेगा। इसी खाते से निर्माण कार्य में खर्च किया जाएगा। फैसले के बाद खरीदारों ने एक-दूसरे को बधाई दी और एनसीएलएटी के निर्णय की सराहना की। यह निर्णय घर खरीदारों के हितों की रक्षा और उनके घरों का सपना साकार करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
एनबीसीसी आम्रपाली की परियोजना को कर रहा पूरा
एनबीसीसी पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आम्रपाली समूह की रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा कर रही है। एनबीसीसी ने कहा कि इन परियोजनाओं की अनुमानित निर्माण लागत में 3 प्रतिशत आकस्मिकता और 8 प्रतिशत परामर्श शुल्क शामिल है, जिसमें एक प्रतिशत विपणन शुल्क भी है। एनसीएलएटी के इस फैसले से न केवल फ्लैट खरीदारों को राहत मिलेगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में नई उम्मीद भी जगेगी।