शरदीय नवरात्रि अब अपने अंतिम पड़ाव पर आ गई है। विजयदशमी के दिन नवरात्रि का पर्व समाप्त हो रहा है। लेकिन इस बार एक ही दिन में दो तिथियां लग रही हैं। इसलिए नवरात्रि की अष्टमी और नवमीं कब है, इसकों लेकर काफी कंफ्यूजन बना हुआ है। तो चलिए हम आपको तिथिओं के मुहूर्त और कब आपको कन्या पूजन करना है, वो बताते हैं…

कब है अष्टमी?

पंचांग के मुताबिक, अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर की दोपहर में 12 बजकर 32 मिनट से होगी। वहीं, ये तिथि 11 तारीख यानी की शुक्रवार को दोपहर में 12 बजकर 7 मिनट तक रहेगी।

कब है नवमी?

वहीं पंचांग के मुताबिक, नवमी तिथि 12 तारीख को सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। जो लोग अष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं, वो 10 अक्टूबर (गुरुवार) को अष्टमी का व्रत रखेंगे और जो लोग नवमी तिथि का व्रत रखना चाहते हैं, वो 11 अक्टूबर शुक्रवार के दिन रखेंगे।

कब है कन्या पूजन का मुहूर्त ?

अब जब तिथि को लेकर इतना कंफ्यूजन है, तो जाहिर है कि कन्या पूजन को लेकर भी लोग कन्फ्यूज है। ऐसे में कन्या पूजन को लेकर जानकारों का कहना है कि जिन लोगों के यहां महा अष्टमी पूजा होता है उन्हें कन्या पूजन 11 अक्टूबर शुक्रवार के दिन करना होगा और जिन लोगों को नवमी तिथि का पूजन करना है वह 12 अक्टूबर शनिवार को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से पहले पहले कन्या पूजन कर लें। क्योंकि, इसके बाद दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी।

क्या है महा अष्टमी का महत्व

आपको बता दें, नवरात्रि में आने वाली अष्टमी को महाअष्टमी कहा जाता है। इसे महानिशा की रात भी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूप से पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन माता दुर्गा के साथ ही कन्या पूजन का भी बड़ा विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति कन्या पूजन करता है उसके घर में सुख समृद्धि का वास होता है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

क्या है महा नवमी का महत्व

वहीं, अगर महानवमी की बात करें, तो इस दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सिद्धिदात्री की पूजा से व्यक्ति को सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति शरीर के तमाम रोगों और मन में भय से मुक्ति पाता है और साथ ही इस दिन मां सिद्धिदात्री भक्तों व्रत करने का फल भी प्रदान करती हैं।  

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